logo-image

UP में सेल्फी न भेजने वाले शिक्षकों का अब नहीं कटेगा वेतन, सरकार ने फैसला वापस लिया

उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में सुबह प्रार्थना के दौरान सेल्फी खींचकर न भेजने वाले शिक्षकों का वेतन काटने का फैसला राज्य सरकार ने वापस ले लिया है.

Updated on: 24 Jul 2019, 01:17 PM

highlights

  • सेल्फी न भेजने पर सैलरी कटने के फैसले को वापस लिया गया है
  • शिक्षक दल के नेता ने उठाया था मुद्दा
  • गांवों में शिक्षकों के समय पर न आने पर लिया गया था फैसला

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में सुबह प्रार्थना के दौरान सेल्फी खींचकर न भेजने वाले शिक्षकों का वेतन काटने का फैसला राज्य सरकार ने वापस ले लिया है. प्रदेश की बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने मंगलवार को विधान परिषद में शून्यकाल के दौरान कार्यस्थगन की एक सूचना पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि सेल्फी न भेजने वाले शिक्षकों का उस दिन का वेतन काटने का आदेश वापस ले लिया गया है.

यह भी पढ़ें- UP में अगले 24 घंटे में हो सकती है बारिश, कहीं तेज तो कहीं धीमी होगी

शिक्षक दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा, हेम सिंह पुंडीर और अन्य सदस्यों ने सूबे के विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों द्वारा गत 20 जून को पत्र के माध्यम से सरकारी प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों को रोज सुबह पाठशाला में प्रार्थना के दौरान सेल्फी खींचकर जिम्मेदार अधिकारी को भेजने के आदेश को नियम विरुद्ध करार देते हुए कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये यह मुद्दा उठाया.

यह भी पढ़ें- अपने समर्थकों के साथ बीजेपी नेता ने नेशनल हाइवे पर किया हनुमान चालीसा का पाठ

पुंडीर और शर्मा ने कहा कि सेल्फी खींचकर भेजने की व्यवस्था में प्रोत्साहन के साथ दंड भी लगा दिया गया है, जो उचित नहीं है. बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा ने कहा कि गांवों के लोग शिक्षकों के समय पर विद्यालय न आने की शिकायत करते हैं. इसीलिए स्कूलों में सेल्फी की व्यवस्था लागू की गई है. सरकार शिक्षकों के साथ है और उनका किसी भी सूरत में अपमान नहीं करना चाहती.

यह भी पढ़ें- रामपुर में जौहर यूनिवर्सिटी का पैसा कहां से आया, प्रवर्तन निदेशालय करेगा जांच

ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार ने बीते माह जारी आदेश में प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों के लिए सुबह प्रार्थना के दौरान बच्चों के साथ सेल्फी खींचकर भेजना अनिवार्य कर दिया था. ऐसा न करने वाले शिक्षकों का उस दिन का वेतन काटने को भी कहा था.