निर्भया केसः तिहाड़ में 4 मुजरिमों को एकसाथ फांसी देकर 'दादा' का रिकॉर्ड तोड़ेगा 'पोता'

पवन जल्लाद ने इससे पहले करीब पांच फांसियों के दौरान दादा कालू राम जल्लाद का सहयोग किया था. उन पांच फांसी लगवाने के दौरान पवन ने फांसी लगाने की बारीकियां दादा कालू राम जल्लाद से सीखी थीं.

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Kuldeep Singh
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निर्भया केसः तिहाड़ में 4 मुजरिमों को एकसाथ फांसी देकर 'दादा' का रिकॉर्ड तोड़ेगा 'पोता'

पवन जल्लाद( Photo Credit : फाइल फोटो)

बाप-दादा की विरासत में किसी को जमीन-जायदाद मिलती है. किसी को अच्छे संस्कार. हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली से सटे यूपी के मंडल मुख्यालय मेरठ शहर में इन सबसे परे एक इंसान को विरासत में 'जल्लादी' मिली है. देश में इस परिवार को लोग जल्लादों के परिवार के रूप में जानते-पहचानते हैं. 1950-60 के दशक में इस परिवार की पहली पीढ़ी के मुखिया लक्ष्मन देश में मुंसिफों (अदालतों) द्वारा सजायाफ्ता करार दिए गए मुजरिमों को फांसी पर चढ़ाने का काम करते थे. अब उन्हीं लक्ष्मन जल्लाद का परपोता यानी, लक्ष्मन के मरहूम जल्लाद बेटे कालू राम जल्लाद के बेटे का बेटा (चौथी पीढ़ी) पवन जल्लाद अपनी जिंदगी की पहली फांसी देने की तैयारी में जुटा है.

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पवन जल्लाद ने इससे पहले करीब पांच फांसियों के दौरान दादा कालू राम जल्लाद का सहयोग किया था. उन पांच फांसी लगवाने के दौरान पवन ने फांसी लगाने की बारीकियां दादा कालू राम जल्लाद से सीखी थीं. अब निर्भया के चारों हत्यारों को फांसी पर लटकाना पवन जल्लाद का अपनी जिंदगी में अपने बलबूते सजायाफ्ता को फांसी पर लटकाने का पहला अनुभव होगा.

पवन जल्लाद ने कहा, "मैं बिलकुल तैयार बैठा हूं. यह मेरे पुरखों का ही आशीर्वाद है कि उन्होंने अपनी पूरी उम्र में एक बार में एक या फिर ज्यादा से ज्यादा दो मुजरिमों को ही फांसी के फंदे पर टांगा था. मैं एक साथ अपनी जिंदगी की पहली फांसी में चार-चार मुजरिमों को टांगने वाला हूं."

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तो क्या एकसाथ चार-चार मुजिरमों को फांसी पर टांग कर पवन अपने पुरखों (परदादा, दादा और पिता) का रिकॉर्ड तोड़ने वाले हैं? उन्होंने आईएएनएस से कहा, "आप ऐसा कह सकते हैं. सच्चाई भी यही है कि अभी तक हिंदुस्तान के करीब 100 साल के इतिहास में कभी भी चार मुजरिमों को एक साथ किसी जल्लाद ने फंदे पर नहीं लटकाया है. यह मौका मेरे हाथ पहली बार लग रहा है. जहां तक परदादा, दादा और पिता का रिकॉर्ड तोड़ने की बात है, तो मैं भला यह कैसे कह सकता हूं? वे तीनों तो फांसी के मामले में मेरे गुरु रहे हैं. उनसे ही तो मैंने फांसी लगाने का हुनर सीखा था, आज उसी को अमल में लाने का मौका मिला है."

पवन के पिता मम्मू जल्लाद के अंतिम दिनों में इस कुनबे में फांसी पर फसाद भी शुरू हो गया था. कहते हैं कि जब, मम्मू जल्लाद का दुनिया से रुखसती का वक्त आया तो पवन जल्लाद और उनके भाइयों के बीच घमासान शुरू हो गया. इस बात को लेकर कि इस खानदानी पेशे पर किसका पुश्तैनी और कानूनी हक होगा? मामला यूपी जेल महकमे से लेकर अदालतों की देहरियों तक पहुंचने की नौबत आ गई. खानदान में छिड़े फांसी पर फसाद के बीच ही मम्मू जल्लाद दुनिया से चले गए. बाद में पवन जल्लाद को ही यूपी जेल महकमे से पांच हजार रुपये महीने की जब नियमित पगार मिलने लगी, तो पवन के बाकी भाइयों ने अपना हाथ जल्लादी के इस पेशे को लेकर छिड़ी लड़ाई से पीछे खींच लिया.

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उल्लेखनीय है कि इससे पहले जब मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड अजमल कसाब को फांसी पर लटकाने की चर्चा शुरू हुई थी, उस वक्त भी पवन जल्लाद के हाथ कसाब के गले में फंदा लगाने के लिए कसमसाने लगे थे. विपरीत हालात और परिस्थितियों के चलते मगर वह मौका पवन जल्लाद के हाथ से निकल गया. उसके बाद संसद हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु को पवन जल्लाद से टंगवाने की चर्चा का बाजार गरम हुआ. अफजल गुरु को तिहाड़ जेल के ही एक अधिकारी ने फांसी के फंदे पर टांग दिया. लिहाजा वह मौका भी पवन के हाथ से सरक गया.

इस बार मगर तिहाड़ जेल महानिदेशालय द्वारा दो मर्तबा यूपी जेल महानिदेशालय को लिखी गई चिट्ठी में, पवन जल्लाद के नाम का साफ-साफ उल्लेख किया गया है. इसलिए पवन को उम्मीद है कि जिस तिहाड़ जेल के फांसी-घर में उसके पुरखों (दादा कालूराम जल्लाद) ने रंगा-बिल्ला से लेकर कश्मीरी आतंकवादी मकबूल बट्ट तक को फांसी पर लटकाया था, उसी तिहाड़ के फांसी-घर में पवन को एक साथ चार-चार मुजरिम फंदे पर लटकाने का मौका मिल रहा है. तिहाड़ के इतिहास में क्या हिंदुस्तान के इतिहास में अब तक किसी भी जल्लाद को किसी जेल में एक साथ चार-चार मुजरिम लटकाने का मौका नसीब नहीं हुआ है. इसी खुशी में पवन जल्लाद के दिल की धड़कने फिलहाल तो तेज हैं.

Source : IANS

Tihar jail Pawan Jallad Nirbhaya Case
      
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