Advertisment

एंबुलेंस की लापरवाही- बच्चे की गई जान, प्रसूता का रास्ते में प्रसव

कोरोना (Corona) काल में दो मामलों से एंबुलेंस व्यवस्था की पोल खुलकर सामने आई. जहां जरुरत के समय प्रसूताओं की मदद के लिए एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाई. जिले में ऐसे ही दो मामले सामने आये.

author-image
Kuldeep Singh
New Update
pregnant woman to the ambulance

एंबुलेंस( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

कोरोना (Corona) काल में दो मामलों से एंबुलेंस व्यवस्था की पोल खुलकर सामने आई. जहां जरुरत के समय प्रसूताओं की मदद के लिए एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाई. जिले में ऐसे ही दो मामले सामने आये. जिसमे पहले मामले में एक बच्चे की जान चली गयी तो वहीं दूसरे मामले में प्रसूता को ई रिक्शे से अस्पताल पहुंचाते वक्त रास्ते में ही प्रसव हो गया. एम्बुलेंस की लापरवाही की बात सामने आने पर आलाधिकारी जांच की बात कह रहे है.

यह भी पढ़ेंः अपने लोकल ब्रांड को दुनिया में पहचान दिलानी है- वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण

पहला मामला कन्नौज सदर कोतवाली क्षेत्र के चौधरीसराय स्थित काशीराम कॉलोनी का है. जहां एक महिला के सुरक्षित प्रसव न होने पर बच्चे की मौत हो गयी. यह एरिया कोरोना हॉटस्पॉट घोषित है. जहां काशीराम कॉलोनी में रहने वाले मोहम्मद शहजाद की पत्नी शाहजहां को रात 9 बजे प्रसव पीड़ा हुई. जिसके पश्चात पति शहजाद ने एंबुलेंस को कई बार फोन लगाया लेकिन समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंची. लोगों ने प्रसव घर पर ही करने की कोशिश की इस दौरान रात में घर पर ही प्रसव  हो गया और बच्चे की पैदा होते ही मौत हो गयी. मोहम्मद इरशाद की मां सुबरा का कहना है कि एंबुलेंस को कई बार फोन किया गया लेकिन वह समय पर नहीं पहुंची यदि वह समय से पहुंच जाती तो बच्चे की जान बचाई जा सकती थी. जब बच्चे की मौत के बाद पुलिस ने एंबुलेंस को फोन किया तब जाकर एंबुलेंस रात करीब 2 बजे वहां पहुंची . इसके पश्चात प्रसूता को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां उसका उपचार चल रहा है.

यह भी पढ़ेंः Covid-19: PM मोदी के राहत पैकेज के सामने फीके हैं आजाद भारत के सभी आर्थिक पैकेज

दूसरा मामला तहसील तिर्वा क्षेत्र के गाजीपुर्वा गांव का है. गांव निवासी महेंद्र ने बताया कि सुबह  उसकी गर्भवती पत्नी नीलम को दर्द हुआ तो करीब नौ बजे फोन किया. फोन लखनऊ लगा और उन्होंने कहा कि कुछ देर में गाड़ी वाले का फोन आएगा. करीब पौन घंटे हो गया लेकिन एंबुलेंस नहीं आई. महेंद्र ने बताया कि जब एंबुलेंस नहीं आई तो गांव में ई-रिक्शा तलाशा. पत्नी नीलम को परिवार की महिलाओं के साथ राजकीय मेडिकल कॉलेज भेजा. वह भी बाइक से पीछे-पीछे चल दिए. रास्ते में ही प्रसव हो गया . जिसके बाद महेन्द्र ने अपनी पत्नी को तिर्वा मेडिकल कालेज में भर्ती कराया जहां उन्होंने इस लापरवाही की बात मीडिया के सामने बताई.  

यह भी पढ़ेंः उम्र कैद काट रहे सज्जन कुमार को बड़ा झटका, अंतरिम जमानत देने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

दोनों ही मामलों में हुई लापरवाही को लेकर जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी कृष्ण स्वरूप का कहना है कि 102 एम्बुलेंस पूरी तरह से वह जच्चा-बच्चा के लिए ही रखी गयी है. उनसे और कोई काम नही लिया जा रहा है और यह जांच का विषय है कि उन्होंने फोन कब किया था और कितनी देर बाद एम्बुलेंस पहुंची थी. हमारे पास इस सम्बन्ध में कोई शिकायत नही प्राप्त हुई है. इस सम्बन्ध में हम इसकी इन्क्वायरी करायेंगे और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए उनकी कंपनी को लिखेंगे.

Source : News Nation Bureau

corna virus ambulance
Advertisment
Advertisment
Advertisment