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मोहन भागवत।( Photo Credit : फाइल फोटो)
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने कहा है कि भारत में शक्ति का केंद्र सिर्फ संविधान है. दूसरा शक्ति का कोई केंद्र नहीं है. दूसरा कोई केंद्र हो ऐसी हमारी कोई इच्छा नहीं है. यदि ऐसा हुआ तो सबसे पहले RSS इसका विरोध करेगा. संविधान में देश के भविष्य की तस्वीर एकदम साफ है. वही प्रारंभ बताता है और गंतव्य भी. उन्होंने मुस्लिमों को न्योता दिया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में जानने के लिए RSS की शाखाओं में आएं. उसके बाद हमारे बारे में राय बनाएं तो बेहतर होगा.
महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में रविवार को 'भारत का भविष्य' विषय पर संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने जो संविधान लिखा है हम उसी पर चलेंगे. इतना जरूर हो सकता है कि समय के मुताबिक कुछ ऊपरी फेरबदल किए जाएं. व्यवस्था के मुताबिक जिन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है वे ऐसा करेंगे. भागवत ने कहा कि संविधान में भविष्य के भारत की स्पष्ट परिकल्पना थी. मगर सवाल यह है कि आखिर 70 सालों में यह पूरी क्यों न हो सकी? जर्मनी, जापान और इजराइल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ये तीनों देश भी हमारे साथ चले मगर यह आज हमसे काफी आगे हैं. इस पर हमें विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जब हम कहते हैं कि इस देश के सभी 130 करोड़ लोग हिंदू हैं. तो इसका मतलब यह नहीं कि हम किसी धर्म या जाति में बदलाव चाहते हैं. हमारे पूर्वज एक रहे हैं. विविधताओं के बीच सब यहीं रहते हैं. यही हिंदुत्व है. उन्होंने कहा कि जब हिंदू भावना खत्म हो गई, तो देश का वह हिस्सा अलग है. जब-जब हिंदू कमजोर होता है तब-तब भारत की भौगोलिक स्थिति बदलती है.
उन्होंने कहा कि संघ को लेकर लोगों ने गलत धारणा बना रखी है. संघ को देखने के बजाए स्वयंसेवकों के कार्य को देखना चाहिए. स्वयंसेवक तो राजनीति से लेकर संस्कार तक हर कार्य में आगे हैं.
Source : News Nation Bureau
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