वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने होली खेल पेश की साम्प्रदायिक सौहार्द की मिशाल
मुस्लिम महिलाओं ने होली के गीत गाए 'नफरत मिटाएं दा दिलवा से, मिलो होली का त्योहार मनावा. हमरे देशवा का त्योहार बा, विदेशवा तक मनी, कट्टरपंथियन के छाती पर अबकी होलिका जली.
highlights
- महिलाओं ने कहा कि पूरी दुनिया में रंगों की होली होती है
- मुस्लिम महिलाओं ने होली के गीत गाए नफरत मिटाएं दा दिलवा से
- होली के रंग नफरत की आग को बुझाने वाले होते हैं
वाराणसी:
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शुक्रवार को मुस्लिम महिलाओं ने होली खेल कर साम्प्रदायिक सौहार्द की मिशाल पेश की. गुलाब और गुलाल बरसा कर महिलाओं ने आपसी प्रेम भावना का संदेश दिया. लमही के इंद्रेश नगर स्थित सुभाष भवन में विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम महिला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को 'गुलाबों और गुलालों वाली होली' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान महिलाओं ने एक दूसरे पर गुलाब और गुलाल की वर्षा कर बधाई दी. ढोल की थाप पर महिलाओं ने नृत्य कर खुशी का इजहार किया.
महिलाओं ने कहा कि पूरी दुनिया में रंगों की होली होती है, लेकिन काशी में दिल मिलाने की होली खेली जाती है और नफरत की होलिका जलाई जाती है. तभी तो भूत भावन महादेव श्मशान में चिता की भस्म से होली खेलते हैं. हमारे पूर्वजों के खून में होली के रंगों की लालिमा है.
मुस्लिम महिलाओं ने होली के गीत गाए 'नफरत मिटाएं दा दिलवा से, मिलो होली का त्योहार मनावा. हमरे देशवा का त्योहार बा, विदेशवा तक मनी, कट्टरपंथियन के छाती पर अबकी होलिका जली.' गाने की धुन पर महिलाओं ने एक दूसरे के चेहरे पर गुलाल लगाया, हंसी ठिठोली की. वहीं फिजाओं में गुलाब की पंखुड़ियों ने मोहब्बत की महक बिखेर दी.
होली समारोह की शुरूआत मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्रीराम की तस्वीर पर गुलाल लगाकर की. इसके बाद सुभाष मंदिर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति पर गुलाल चढ़ाया. गीत में मुस्लिम महिलाओं ने काशी विश्वनाथ के साथ भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण को भी शामिल किया. मुस्लिम महिलाओं ने प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेता इंद्रेश कुमार की तस्वीर पर गुलाल लगाकर होली की बधाई दी.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विशाल भारत संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि, "काशी से मुस्लिम महिलाएं विश्व को यह संदेश देना चाहती हैं कि धर्म बदलने से संस्कृति नहीं बदलती. संस्कृति से ही देश और व्यक्ति की पहचान होती है. होली के रंग नफरत की आग को बुझाने वाले होते हैं."
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने कहा कि, "त्योहार किसी धर्म के नहीं बल्कि देश की संस्कृति के संदेशवाहक होते हैं. धर्म बदलने से संस्कृति कभी नहीं बदलती. हमारे पूर्वजों के खून में होली के रंगों की लालिमा है. राम और कृष्ण से ही डीएनए हमारा मिलता है."
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