उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तलाक का एक अनोखा मामला सामने आया है. आमतौर पर पुरुषों द्वारा महिलाओं को ट्रिपल तलाक देते हुए या जबरन तलाक देने के मामले देखे गए हैं. लेकिन एक महिला द्वारा अपने पति को जबरन तलाक देने का मामला राजधानी में चर्चा का विषय बना हुआ है. एक मुस्लिम महिला रेशमा सिद्दीकी ने अपने 12 साल पुराने शादी को तोड़ दिया है.
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शादी उसने इस लिए तोड़ी क्योंकि उसका पति उसके साथ मारपीट करता था. महिला का कहना है कि इस हालात में उसका जीना मुहाल हो गया था. मामला कोर्ट-कचहरी तक पहुंचा लेकिन अब साथ रह पाना मुश्किल है. इसलिए असने अपने पति से तलाक लेने का फैसला किया. पीड़ित महिला का कहना है कि उसकी शादी मुस्लिम रीति रिवाज से 4 फरवरी 2006 को शारिक सिद्दीकी के साथ हुई.
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इनकी 10 साल की एक बेटी भी है. पीड़िता का कहना है कि उसकी बेटी के पैदा होने के बाद रिश्ते में भी खटास आनी शुरु हो गई. जिसके बाद पति से अलग होना ही सबसे अच्छा फैसला लगा. इसलिए मैंने तलाक ले लिया. इस महिला का साथ देने वाली सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन का कहना है कि वो रेशमा के इस समर्थन का फैसला करती हैं.
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कुरान की एक आयत का हवाला देते हुए नाइश कहती हैं कि महिला भी तलाक दे सकती है. नाइश ने कहा कि महिलाओं में अभी जागरुकता लाने की जरूरत है. महिलाएं अपने अधिकार का प्रयोग करके स्वतंत्र रह सकती हैं. महिला के तलाक देने के मामले में धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का कहना है कि बीवी को भी अपने पति से तलाक का उतना ही अधिकार है जितना पति को. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामले शरीयत की रोशनी से देखे जाने चाहिए. ताकि समस्याओं का जल्दी से हल निकाला जा सके.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो