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उत्तर प्रदेश: योगी राज में अबतक 6,200 मुठभेड़, 47 अल्पसंख्यकों सहित 124 अपराधी मारे गए

सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मार्च 2017 में पूरे प्रदेश में अपराधि‍यों की धड़पकड़ के लिए मुहिम चलाई गई थी. प्रदेशभर में अबतक पुलिस और आरोपियों के बीच 6200 से ज्यादा मुठभेड़ हो चुकी है.

Updated on: 18 Aug 2020, 04:53 PM

नई दिल्ली:

सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मार्च 2017 में पूरे प्रदेश में अपराधि‍यों की धड़पकड़ के लिए मुहिम चलाई गई थी. प्रदेशभर में अबतक पुलिस और आरोपियों के बीच 6200 से ज्यादा मुठभेड़ हो चुकी है. इनमें 14 हजार से ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. वहीं, अब तक 2,300 से अधि‍क अभि‍युक्त और 900 से अधि‍क पुलिसवाले जख्मी हुए हैं. साथ ही 13 पुलिस कर्मचारी शहीद हुए हैं, जबकि मुठभेड़ में 124 अपराधी मारे गए हैं. जातिवार अगर इन आरोपियों का ब्यौरा देखा जाए तो 47 अल्पसंख्यक, 11 ब्राह्मण, 8 यादव और बचे 58 अप‍राधि‍यों में ठाकुर, पिछड़ी और अनसूचित जाति/जनजाति के अपराधी शामिल हैं.

पश्चि‍मी यूपी में मुठभेड़ की ज्यादातर घटनाएं हुई हैं. अब तक मेरठ में मुठभेड़ में 14 आरोपियों का मार गिराया गया है. सहारनपुर में 9, शामली में 5 और मुजफ्फरनगर में 11 आरोपी ढेर हो चुके हैं. पूर्वी जिलों में सबसे अधिक एनकाउंटर आजमगढ़ में हुआ है, जहां मुठभेड़ में पुलिस ने 5 आरोपियों को मार गिराया है.

हालांकि, उत्तर प्रदेश में हुई मुठभेड़ को लेकर शुरू से ही सवाल खड़े हो रहे हैं. एनजीओ ‘पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी की नवंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट में दाखि‍ल जनहित याचिका पर दाखि‍ल हलफनामे में योगी सरकार ने कहा था कि एनजीओ का दावा गलत है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को ही एनकाउंटर में टारगेट किया गया है.

हलफनामे में योगी सरकार ने यह भी बताया था कि पुलिस एनकाउंटर में मारे गए 48 अपराधि‍यों में 30 बहुसंख्यक समुदाय से हैं, जबकि 18 अल्पसंख्यक समुदाय से. यह प्रकरण अभी भी कोर्ट में लंबित है. पिछले साल जनवरी 2019 में यूपी में हुई मुठभेड़ के मामले में दाखि‍ल याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि एनकाउंटर के गंभीर परीक्षण की जरूरत है.