आर्थिक मंदी से निपटने के लिए हाल में उठाए कदमों का असर देखने के लिए सरकार इंतजार कर रही है और उसे उम्मीद है कि एफपीआई पर लगाए गए सरचार्ज को वापस लेने के बाद विदेशी संस्थागत निवेशक (एफपीआईज) भारतीय शेयर बाजारों में सितंबर में लौटेंगे और खरीदारी करेंगे. लेकिन पीतल नगरी मुरादाबाद पर मंदी की मार का काफी असर दिखने लगा है. आलम यह है कि पीतल उद्योग की रीढ़ कहे जाने वाले दस्तकारों के पास काम ही नहीं है. खुद का काम करने वालों के भी खरीददार घट चुके हैं.
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मुरादाबाद के पीतल उद्योग पर मंदी की असर
- मुरादाबाद का पीतल उद्योग कुल 7 हज़ार करोड़.
- पीतल कारोबार से कुल 10 लाख लोग डायरेक्ट, इनडायरेक्ट तौर पर जुड़े हैं.
- नोटबंदी और जीएसटी के बाद से ही पीतल उद्योग पर असर पड़ा.
- पिछले सालों की तुलना में इस बार कारोबार 15 से 20 फीसदी तक कम हुआ.
- पीतल उद्योग की रीढ़ कहे जाने वाले दस्तकारों के पास काम नहीं.
- खुद का काम करने वालों के पास से खरीददार घटे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिले का सीडी रेशियो नीचे लुढ़ककर तीन फीसदी तक आ गया है, यानि बैंक अब 100 में से 57 रुपये ही लोन बांट पा रहे हैं. सीडी रेशियो यानी क्रेडिट डिपाजिट रेशियो, इसका सीधा मतलब ये है कि जो पैसा बैंकों में जमा होता है, उसका बैंक कितना फीसदी पैसा लोन के रूप में बांट पाते हैं. आरबीआई के निर्देशानुसार, जिले का सीडी रेशियो कम से कम 60 फीसदी होना ही चाहिए. लेकिन इससे नीचे रेशियो गिरे तो इसका सीधा मतलब होता है कि उद्योग-धंधे और रोजगार के संसाधन कम हो रहे हैं.
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वहीं कारोबार में मंदी की वजह से पीतल उद्योग के दस्तकार अब दस्तकारी छोड़ कर रोजगार के दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं. कारोबार में मंदी के चलते निर्यातकों ने लोन लेना भी कम कर दिया है. इस मंदी के लिए दस्तकार सरकारी नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि काम पर जीएसटी का सबसे ज्यादा असर हो रहा है. कच्चा माल महंगा होने से उत्पाद की कीमत बढ़ी है, जिससे खरीददार माल लेने में हिचकिचा रहे हैं.
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