दलितों-पिछड़ों की उपेक्षा के कारण MLC घनश्याम सिंह लोधी ने दिया सपा से इस्तीफा
घनश्याम सिंह लोधी 2009 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान बसपा के टिकट पर रामपुर से मैदान में उतरे. इससे पहले भी वो 1998 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे.
लखनऊ:
समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) घनश्याम सिंह लोधी ने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. लोधी ने सपा पर "पिछड़ों,दलित समाज की उपेक्षा" का आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा पार्टी से प्रदेश अध्यक्ष को भेज दिया है. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि उन्होंने अपना इस्तीफा 12 जनवरी को ही प्रदेश अध्यक्ष को भेज दिया था. लेकिन समाजवादी पार्टी ने इस्तीफा की खबर को दबाए रखना ही उचित समझा. घनश्याम सिंह लोधी 2016 में समाजवादी पार्टी की सदस्य़ता ली थी और उस दौरान सपा ने उन्हें विधान परिषद की बरेली-रामपुर सीट प्रत्याशी बनाया था. सपा ने पहले इस सीट से बरेली के अनिल शर्मा को प्रत्याशी बनाया था.
घनश्याम सिंह की राजनीतिक पृष्ठभूमि संघ-भाजपा की रही है. वह भाजपा के दिग्गज नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के विश्वासपात्र रहे. बरेली-रामपुर एमएलसी सीट से घनश्याम सिंह लोधी 2004 में चुनाव एमएलसी का जीत चुके हैं. उस वक्त सपा और राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के बीच गठबंधन था. लोधी राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे और चुनाव जीते थे.
घनश्याम सिंह लोधी 2009 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान बसपा के टिकट पर रामपुर से मैदान में उतरे. इससे पहले भी वो 1998 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे. हालांकि इन चुनावों में उनको हार का सामना करना पड़ा था.
लोधी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत ग्राम प्रधान के रूप में थी. वो खैरुलापुर ग्राम पंचायत के प्रधान रहे हैं. लोधी भाजपा में भी सक्रिय रहे थे. वो भाजयुमो के जिलाध्यक्ष भी रहे. कल्याण सिंह ने जब भाजपा से अलग होकर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई थी तो लोधी उनके साथ चले गए थे.
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