/newsnation/media/post_attachments/images/2019/09/07/mayawati-bsp-45.jpg)
मायावती (फाइल फोटो)
इसरो का संपर्क लैंडर विक्रम के साथ टूटने व चंद्रयान मिशन-2 को झटका लगने पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कहा कि चांद पर कदम रखने के लिए चन्द्रयान-2 मिशन ने समस्त भारतीय जनमानस को रोमांचित किया है. उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में भारतीय वैज्ञानिकों खासकर ’इसरो’ के वैज्ञानिकों ने अब तक जो भी सफलता प्राप्त की है वह गर्व करने लायक है और उसकी सराहना की जानी चाहिए.
1. चाँद पर कदम रखने के लिए चन्द्रयान-2 मिशन ने समस्त भारतीय जनमानस को रोमांचित किया है। इस सम्बंध में भारतीय वैज्ञानिकों खासकर ’इसरो’ के वैज्ञानिकों ने अबतक जो भी सफलता प्राप्त की है वह गर्व करने लायक है व उसकी सराहना की जानी चाहिए।
— Mayawati (@Mayawati) September 7, 2019
यह भी पढ़ेंः #VikramLander से संपर्क टूटने से निराश वैज्ञानिकों का सीएम योगी ने बढ़ाया हौसला, कही ये बात
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, 'आगे बढ़ते रहने के लिए यह जरूरी है कि निराशा, हताशा व दुःखी कतई न हों और यह भी याद रहे कि 'गिरते हैं शहसवार मैदान-ए-जंग में, वह तिफ्ल (बच्चा) क्या गिरे जो घुटनों के बल चले'. वैज्ञानिकों को देशहित में काम करते रहने के लिए उनके हौंसले बढ़ाते रहने की जरूरत है.'
2. साथ ही, आगे बढ़ते रहने के लिए यह जरूरी है कि निराशा, हताशा व दुःखी कतई न हों और यह भी याद रहे कि ’गिरते हैं शहसवार मैदान-ए-जंग में, वह तिफ्ल (बच्चा) क्या गिरे जो घुटनों के बल चले’। वैज्ञनिकों को देशहित में काम करते रहने के लिए उनके हौंसले बढ़ाते रहने की जरूरत है।
— Mayawati (@Mayawati) September 7, 2019
बता दें कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया. सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था. लैंडर विक्रम ने 'रफ ब्रेकिंग' और 'फाइन ब्रेकिंग' चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग से पहले इसका संपर्क धरती पर मौजूद स्टेशन से टूट गया. इसके साथ ही वैज्ञानिकों और देश के लोगों के चेहरे पर निराशा की लकीरें छा गईं.
यह भी पढ़ेंः Chandrayaan-2: इसरो के वैज्ञानिकों को अनोखी बधाई, इस युवा ने आधे इंच बादाम पर बनाई चंद्रयान 2 की तस्वीर
इसरो का संपर्क लैंडर विक्रम के साथ टूटने व चंद्रयान मिशन-2 को झटका लगने के बाद शनिवार को इसरो की कई सालों की कड़ी मेहनत वास्तव में धरी की धरी रह गई और यहां आईएसटीआरएसी में कोई भी शब्द वैज्ञानिकों को हुई निराशा को बयां नहीं कर सकते हैं. हालांकि वैज्ञानिकों के अथक प्रयास को लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर देश के बड़े नेताओं ने प्रशंसा की है.
यह भी पढ़ेंः