मायावती की गठबंधन में नहीं थी कोई रुचि, राहुल गांधी के प्रस्ताव पर नहीं दिया था जवाब

राहुल गांधी ने कहा है कि मायावती ने इस बार चुनाव लड़ा ही नहीं है. हमारी तरफ से उन्हें गठबंधन का प्रस्ताव दिया गया था.

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Pradeep Singh
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बहन मायावती, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश( Photo Credit : News Nation)

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का प्रदर्शन पार्टी के इतिहास में अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन रहा है. बसपा इस चुनाव में मात्र एक सीट पर सिमट गयी.  बसपा अगर समय रहते सही रणनीति पर काम की होती तो शायद विधानसभा में उसके सदस्यों की संख्या कुछ ज्यादा होती.  यूपी चुनाव में करारी हार झेलने के बाद राहुल गांधी ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया है कि चुनाव से पहले कांग्रेस, बसपा संग गठबंधन करना चाहती थी. मायावती को सीएम पद का ऑफर भी दिया गया था, लेकिन उन्होंने जवाब तक नहीं दिया.

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राहुल गांधी ने कहा है कि मायावती ने इस बार चुनाव लड़ा ही नहीं है. हमारी तरफ से उन्हें गठबंधन का प्रस्ताव दिया गया था. हमने तो ये भी कहा था कि वे मुख्यमंत्री बन सकती हैं. लेकिन उन्होंने हमारे प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं दिया. राहुल गांधी के मुताबिक मायावती ईडी, सीबीआई के डर से अब लड़ना नहीं चाहती हैं.

इस बारे में वे बताते हैं कि हम काशी राम का काफी सम्मान करते हैं. उन्होंने दलित को सशक्त किया था. कांग्रेस कमजोर हुई है, लेकिन ये मुद्दा नहीं है. दलित का सशक्त होना जरूरी है. लेकिन मायावती कहती हैं कि वे नहीं लड़ेंगी. रास्ता एकदम खुला है, लेकिन सीबीआई, ईडी, पेगासस की वजह से वे लड़ना नहीं चाहती हैं. अब राहुल गांधी का चुनावी नतीजों के बाद आया ये बयान काफई मायने रखता है. सवाल तो ये भी है कि क्या अगर चुनाव से पहले बसपा का कांग्रेस संग गठबंधन होता, क्या जमीन पर स्थिति बदलती, क्या दोनों पार्टियों का प्रदर्शन ज्यादा बेहतर हो पाता?

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वैसे उत्तर प्रदेश चुनाव में दोनों कांग्रेस और बसपा अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ी थीं. दोनों ही पार्टियों का इस चुनाव में सूपड़ा साफ हुआ है. एक तरफ अगर कांग्रेस दो सीट जीत पाई है तो मायावती की बसपा ने तो अपना सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए सिर्फ एक सीट जीती है. चुनावी नतीजों के बाद बसपा प्रमुख ने जरूर मुसलमानों का जिक्र किया, ये भी कह दिया कि उनका वोट एकतरफा सपा को चला गया. लेकिन तब मायावती ने इस प्रस्ताव के बारे में कोई बात नहीं की थी. अब राहुल गांधी ने इस मुद्दे को उठाकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज कर दी है.

यूपी चुनाव में बसपा के खराब प्रदर्शन की बात करें तो इस बार पार्टी को 10 फीसदी कम वोट मिले थे. बसपा का वोट शेयर महज 12 फीसदी रह गया था जो 2017 में 22 फीसदी था. इस सब के ऊपर मायावती का कोर वोटर जाटव भी बीजेपी के साथ चला गया था. ऐसे में ना मुस्लिमों का वोट मिला, ना ब्राह्मण साथ आए और ना ही जाटव का समर्थन मिला.

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