इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को बड़ा झटका देते हुए 17 ओबीसी जातियों के अनुसूचित जाति (एससी) में शामिल किए जाने के फैसले पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट के इस निर्णय पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने खुशी जताई है. मायावती ने कहा कि घोर राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित ऐसे फैसलों से किसी पार्टी और सरकार का कुछ नहीं बिगड़ता है, लेकिन पूरा समाज इससे प्रभावित होता है.
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बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, 'यूपी में 17 ओबीसी जातियों को जबर्दस्ती एससी घोषित करने पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाने की खबर आज स्वाभाविक तौर पर बड़ी सुर्खियों में है. घोर राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित ऐसे फैसलों से किसी पार्टी और सरकार का कुछ नहीं बिगड़ता है लेकिन पूरा समाज इससे प्रभावित होता है. अति-दुर्भाग्यपूर्ण.'
बता दें कि 24 जून को योगी सरकार ने 17 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने आदेश दिया था. इन 17 जातियों में कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, माझी और मछुआ जाति शामिल हैं. ये सभी जाति पहले पिछड़ा जाति यानी ओबीसी (OBC) में थीं, जिन्हें अनुसूचित जाति में शामिल किया गया था.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस आदेश के उलट फैसला सुनाया और सरकार के सभी मंसूबों पर पानी फेर दिया. क्योंकि सरकार का यह फैसला जातियों को लुभाने के रूप में देखा जा रहा था. हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि केंद्र या राज्य सरकार को फैसले लेने का अधिकार नहीं है, ऐसे फैसले सिर्फ संसद ही ले सकती है.
Source : डालचंद