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कांग्रेस से सावधान रहें पंजाब के लोग, मुसीबत में याद आते हैं दलितः मायावती

बहुजन समाज पार्टी(बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि इनको दलितों पर भरोसा नहीं है.

Updated on: 20 Sep 2021, 02:54 PM

highlights

  • पंजाब में मुख्यमंत्री बदलना कांग्रेस का चुनावी हथकंडा
  • पंजाब के दलितों को कांग्रेस से सावधान रहना चाहिए
  • शिरोमणि दल के साथ चुनाव लड़ सकती हैं बसपा प्रमुख

लखनऊ:

बहुजन समाज पार्टी(बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि इनको दलितों पर भरोसा नहीं है. इन्हें मुसीबत में ही दलितों की याद आती है. ऐसे में पंजाब के लोगों को कांग्रेस से सावधान रहना चाहिए. बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोमवार को पत्रकारों से वार्ता में कहा कि विधानसभा चुनाव के समय पंजाब में मुख्यमंत्री बदलना कांग्रेस का चुनावी हथकंडा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को अभी भी दलितों पर भरोसा नहीं है. कांग्रेस को तो सिर्फ मुसीबत में ही दलित याद आते हैं.

उन्होंने कहा कि पंजाब में कांग्रेस मुश्किल में फंसी को दलित को मुख्यमंत्री बना दिया गया. इसी कारण पंजाब के दलितों को कांग्रेस से सावधान रहना चाहिए. इससे पहले मायावती ने पंजाब के नए मुख्यमंत्री को चरणजीत सिंह चन्नी को बधाई भी दी. बसपा मुखिया ने भाजपा को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि इसी तरह भाजपा में ओबीसी समाज के लिए प्रेम उभरा है. अगर भाजपा ओबीसी के लिए कुछ करना चाहती है तो जातिवार जनगणना क्यों नहीं करवाती है. उन्होंने सवाल उठाया कि अभी तक सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी के खाली पद क्यों नहीं भरे गए हैं? उन्होंने कहा कि लोगों को भाजपा व कांग्रेस के चुनावी हथकंडों से सावधान रहना चाहिए.

गौरतलब हो कि चरनजीत सिंह चन्नी के साथ ही सुखजिंदर रंधावा और ओमप्रकाश सोनी ने भी पंजाब के नए उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है. शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हुए. उनके साथ हरीश रावत और अजय माकन भी चन्नी को बधाई देने पहुंचे. राहुल ने भी चन्नी को शुभकामनाएं दीं. ज्ञात हो कि पंजाब के विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरने की तैयारी में लगीं मायावती ने चुनावी रणनीति को भांपते हुए बयान दिया है. पंजाब में दलित दो हिस्सों में बंटा हुआ है. यहां रविदासी और वाल्मीकि दो बड़े वर्ग दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाला दलितों का बड़ा हिस्सा डेरों से जुड़ा हुआ है. चुनाव के समय इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है.