New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2021/03/28/shadi-30.jpg)
दहेज मांगने, तेज आवाज में म्यूजिक बजाने पर मौलवी नहीं कराएंगे निकाह( Photo Credit : फाइल फोटो)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
दहेज मांगने, तेज आवाज में म्यूजिक बजाने पर मौलवी नहीं कराएंगे निकाह( Photo Credit : फाइल फोटो)
इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम देवबंद में मौलवियों ने शादी समारोहों के दौरान तेज संगीत बजाने और पटाखों के इस्तेमाल के खिलाफ देशव्यापी अभियान छेड़ दिया है. उन्होंने कहा है कि वे ऐसे समारोहों में 'निकाह' सम्पन्न नहीं कराएंगे. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले शामली जिले में एक शादी समारोह में डीजे की धुन पर दूल्हा कार पर चढ़कर नाच रहा था. बस फिर क्या था. मौलवी साहब नाराज हो गए और उन्होंने 'निकाह' पढ़ाने से इनकार कर दिया. इसके बाद दूल्हा और दुल्हन- दोनों पक्ष के लोग घबरा गए. निकाह पढ़ाने के लिए तुरंत एक अन्य मौलवी को बुलाया गया और आनन-फानन में निकाह की सारी रस्म पूरी की गई.
देवबंद के जाने-माने मौलवी कारी इशाक गोरा ने कहा कि हर जगह के उलेमाओं (मौलवियों) से यह कहा जा रहा है कि वे ऐसी शादियों में 'निकाह' न पढ़ाएं. हम दहेज के भी खिलाफ हैं और मौलवी ऐसी शादियां नहीं कराएंगे जहां दहेज की मांग की जाती हो. मुजफ्फरनगर में मौलवियों की बैठक में ऐसी शादियों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया. मौलवियों ने लोगों से लाउड म्यूजिक और पटाखों के इस्तेमाल से बचने के लिए भी कहा. बैठक बुलाने वाले मौलाना मुफ्ती असरारुल हक ने कहा कि हर मौलवी ने फैसले का स्वागत किया है. इलाके के प्रमुख लोग भी हमसे सहमत हैं.
वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने होली खेल पेश की साम्प्रदायिक सौहार्द की मिशाल
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शुक्रवार को मुस्लिम महिलाओं ने होली खेल कर साम्प्रदायिक सौहार्द की मिशाल पेश की. गुलाब और गुलाल बरसा कर महिलाओं ने आपसी प्रेम भावना का संदेश दिया. लमही के इंद्रेश नगर स्थित सुभाष भवन में विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम महिला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को 'गुलाबों और गुलालों वाली होली' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान महिलाओं ने एक दूसरे पर गुलाब और गुलाल की वर्षा कर बधाई दी. ढोल की थाप पर महिलाओं ने नृत्य कर खुशी का इजहार किया.
महिलाओं ने कहा कि पूरी दुनिया में रंगों की होली होती है, लेकिन काशी में दिल मिलाने की होली खेली जाती है और नफरत की होलिका जलाई जाती है. तभी तो भूत भावन महादेव श्मशान में चिता की भस्म से होली खेलते हैं. हमारे पूर्वजों के खून में होली के रंगों की लालिमा है.
Source : IANS