भूख है तो सब्र कर, रोटी नही तो क्या हुआ आजकल दिल्ली में है जेरे बहस ये मुद्दा, किसी शायर की ये पंक्ति आजादी के इतने साल बाद भी देश के हालात को ज्यों का त्यों बयां करती हैं।
यूपी के बरेली में भूख की वजह से एक 42 वर्षीय व्यक्ति की मौत का मामला सामने आया है। खबरों के मुताबिक उसके घर में तीन दिन से कुछ खाने के लिए नहीं था।
वह और उसकी मां ने कुछ नहीं खाया था। भूख के कारण उसकी मौत हो गई है जबकि बुजुर्ग मां का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतक का नाम नेमचंद्र 42 है जबकि उसकी बुजुर्ग मां का नाम वमिला देवी है।
मौके पर पहुंची लेखपाल शिवा कुशवाहा ने बताया, 'मृतक के परिवार की हालत काफी दयनीय है। घर में खाने को कुछ नहीं था। बताया गया था कि उन्हें लकवा मार दिया था। काफी कमजोर हो गए थे और तीन दिनों से खाना नहीं खाया था।'
प्रशासन इस मामले की जांच कर रहा है।
अभी हाल में ही झारखंड के सिमडेगा ज़िले में रहने वाली कोयली देवी का की बेटी भी भूख की वजह से मर गई थी। पिछले आठ महीने से उन्हें सरकारी राशन इसलिए नहीं मिल रहा था क्योंकि वह राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पाई थीं।
इस तरह की घटना निश्चित तौर पर सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद भी हम आजादी के इतने साल बाद भी भूख से आजद हो पाए हैं या नहीं।