35 साल से फरार हत्या का दोषी व्यक्ति दिल्ली से गिरफ्तार

करीब 35 साल तक गिरफ्तारी से बचने के बाद हत्या का एक दोषी आखिरकार पुलिस के जाल में फंस गया. लखनऊ के दौलतगंज इलाके का निवासी 59 वर्षीय प्रकाश शर्मा उसके सहयोगी राजेंद्र ने मार्च 1985 में जयशंकर मिश्रा नामक शख्स की चाकू मारकर हत्या कर दी थी. मिश्रा की पत्नी सुमन ने मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. 1987 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. जमानत मिलने पर उसने सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की. बाद में वह फरार हो गया और दिल्ली में पहचान बदलकर रहने लगा.

करीब 35 साल तक गिरफ्तारी से बचने के बाद हत्या का एक दोषी आखिरकार पुलिस के जाल में फंस गया. लखनऊ के दौलतगंज इलाके का निवासी 59 वर्षीय प्रकाश शर्मा उसके सहयोगी राजेंद्र ने मार्च 1985 में जयशंकर मिश्रा नामक शख्स की चाकू मारकर हत्या कर दी थी. मिश्रा की पत्नी सुमन ने मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. 1987 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. जमानत मिलने पर उसने सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की. बाद में वह फरार हो गया और दिल्ली में पहचान बदलकर रहने लगा.

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IANS
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UP Police

(source : IANS)( Photo Credit : Twitter)

करीब 35 साल तक गिरफ्तारी से बचने के बाद हत्या का एक दोषी आखिरकार पुलिस के जाल में फंस गया. लखनऊ के दौलतगंज इलाके का निवासी 59 वर्षीय प्रकाश शर्मा उसके सहयोगी राजेंद्र ने मार्च 1985 में जयशंकर मिश्रा नामक शख्स की चाकू मारकर हत्या कर दी थी. मिश्रा की पत्नी सुमन ने मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. 1987 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. जमानत मिलने पर उसने सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की. बाद में वह फरार हो गया और दिल्ली में पहचान बदलकर रहने लगा.

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पुलिस ने बताया कि फरार अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए चलाए गए ऑपरेशन प्रहार अभियान के तहत पुलिस ने पहले प्रकाश शर्मा के एक दूर के रिश्तेदार को ट्रैक किया. उसने कोई जानकारी होने से इनकार किया, लेकिन पुलिस ने निगरानी जारी रखी और दोषी के नाम पर खातों से किए गए लेनदेन का पता लगाया. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि, जब प्रकाश ने दो लेन-देन किए तो पुलिस की एक टीम ने उसके रिश्तेदार से पूछताछ की. इस पूछताछ में प्रकाश के नए स्थान का पता चल गया.

ठाकुरगंज थाने की पुलिस और लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के वेस्ट जोन की सर्विलांस टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया. एडीसीपी वेस्ट जोन चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि प्रकाश 1987 से फरार था. वह दिल्ली में फर्जी नाम से सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रहा था. पुलिस ने छापेमारी कर उसे पकड़ लिया.

Source : IANS

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