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...जब योगी सरकार की अपील पर थाना अध्यक्ष ने उठा लिया चॉक और डस्टर

थानाध्यक्ष सुनील राय बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, गणित सब पढ़ाते हैं। अगर शरीर पर वर्दी ना हो तो कोई यह समझ नही पाएगा की पूरी तल्लीनता से पढ़ाने वाले यह गुरुजी एक थाने के इंचार्ज भी हैं।

Updated on: 15 Sep 2022, 10:49 AM

नई दिल्ली:

खाकी की नकारात्मक छवि बदलने की सरकार और पुलिस विभाग भले ही लाख कोशिशें कर रहा हो लेकिन प्रदेश के कई जिलों में अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आ जाती है जो पुलिस की छवि को और खराब कर देती है. लेकिन इन सबके बीच कुछ ऐसे भी पुलिस वाले हैं जो अपने क्षेत्र में अपनी ड्यूटी निभाने के साथ-साथ समाज के दूसरे कार्यों में भी पूरा सहयोग करते हैं और उनकी वजह से आम लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बना रहता है। कुछ ऐसी ही पहल की है महाराजगंज जिले के नौतनवां थानाध्यक्ष सुनील राय ने, जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है। सुनील राय पुलिस में नौकरी मिलने से पहले पेशे से शिक्षक थे। हाथों में कलम पकड़कर दूसरों को शिक्षित करने वाले व्यक्ति ने वर्दी पहनकर समाज की रक्षा करनी तो शुरू की लेकिन मन से वो आज भी शिक्षक हैं और अलग अलग पोस्टिंग के दौरान जहां पर भी समय मिलता है और स्कूल दिखता है, सुनील राय हाथों में चॉक और डस्टर लेकर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर देते हैं। पुलिस निरीक्षक सुनील राय ने इस समय नौतनवां थानाक्षेत्र के एक प्राथमिक विद्यालय को गोद लेते हुए वहां पर बच्चों को पढ़ाने का काम तो शुरू किया है, वह जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाई के जरूरी सामानों को भी अपने पास से देते रहते हैं ।


थानाध्यक्ष सुनील राय बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, गणित सब पढ़ाते हैं। अगर शरीर पर वर्दी ना हो तो कोई यह समझ नही पाएगा की पूरी तल्लीनता से पढ़ाने वाले यह गुरुजी एक थाने के इंचार्ज भी हैं। थाने के इंचार्ज को पढ़ाते और समझाते हुए पाकर बच्चे काफी खुश रहते हैं और पूरे मन से पढ़ाई करते हैं। पुलिस निरीक्षक सुनील राय का कहना है कि वह पुलिस की नौकरी में आने से पहले शिक्षक थे। कई साल तक उन्होंने बच्चों को पढ़ाया और उन्हें इस काम में बहुत मजा आता था। इसी बीच उनका सलेक्शन उत्तर प्रदेश पुलिस में हो गया और शिक्षण का काम बंद हो गया। भले ही वह पुलिस की नौकरी में अपना संपूर्ण देने की कोशिश करते थे लेकिन मन में कहीं न बच्चों को पढ़ाना वह मिस करते थे। इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जनप्रतिनिधियों के साथ पुलिस विभाग के अधिकारियों को भी प्रेरित किया कि वह अपने क्षेत्र में एक-एक विद्यालयों को गोद लेकर वहां की शिक्षण व्यवस्था को सुधारने का काम करें। सरकार के इस अपील के बाद मानो सुनील राय की लॉटरी लग गई। पिछले 2 साल से वह जिस भी थाने पर रहते हैं तो वहां के एक प्राइमरी स्कूल को गोद लेकर बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू कर देते हैं। इस काम मे उनको दिल से सुकून मिलता है। हालांकि पुलिस की नौकरी में हर रोज समय मिल पाना संभव नहीं होता ऐसे में जिस भी दिन उन्हें थोड़ी सी फुर्सत मिलती है वह अपने गोद लिए प्राथमिक विद्यालय में पहुंचकर बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक ज्ञान भी देते हैं। इसके साथ ही पुलिस की ड्यूटी क्या होती है, लोगों को पुलिस की मदद किस तरह से करनी चाहिए इसके बारे में भी बच्चों को सिखाते हैं। सुनील राय का मानना है कि इससे एक तो बच्चों के अंदर पुलिस को लेकर किसी तरह का भय नहीं रहता और दूसरे उनका मन भी पढ़ाई में लगा रहता है। सुनील राय का मानना है कि यह बच्चे ही भविष्य में समाज की संरचना में अपना योगदान देने वाले होते हैं। इनके शिक्षा और संस्कार की बुनियाद को मजबूत करके ही शिक्षित, सुरक्षित और सभ्य समाज की स्थापना सुनिश्चित की जा सकती है।


वहीं स्कूल के बच्चे भी पुलिस निरीक्षक सुनील राय के पहुंचते ही 'पुलिस अंकल आ गए, पुलिस अंकल आ गए' की रट लगा विद्यालय के गेट तक उन्हें रिसीव करने आ जाते हैं। सुनील कुमार राय की पहल का सम्मान उनके जिले के कप्तान और दूसरे अधिकारी भी करते हैं और उनका उदाहरण देकर दूसरे पुलिसकर्मियों को भी समाज में बदलाव लाने की प्रेरणा देते हैं। महाराजगंज के पुलिस अधीक्षक डॉक्टर कौस्तुभ का कहना है कि सुनील कुमार राय जैसे पुलिसकर्मियों पर विभाग को बेहद गर्व है और सभी को समाज में बदलाव लाने की कोई ना कोई पहल जरूर करनी चाहिए। इससे जनता से बेहतर सामंजस्य भी बनता है और अपराध नियंत्रण में भी लोगों का भरपूर सहयोग मिलता है।