ब्रह्मलीन हुए महंत नरेंद्र गिरि, बाघंबरी मठ में दी गई भू-समाधि
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) को भू-समाधि दी गई है. प्रयागराज बाघंबरी मठ में धार्मिक परंपरा के अनुसार नरेंद्र गिरि (Narendra Giri) को भू-समाधि दी गई.
highlights
- महंत को मंत्रोच्चारण और पुष्पवर्षा के साथ अलविदा कहा गया
- एक साल बाद नरेंद्र गिरि की समाधि को कच्चा से पक्का किया जाएगा
- महंत नरेंद्र गिरि के मौत मामले में सीबीआई जांच की मांग
नई दिल्ली:
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) को भू-समाधि दी गई है. प्रयागराज बाघंबरी मठ में धार्मिक परंपरा के अनुसार नरेंद्र गिरि (Narendra Giri) को भू-समाधि दी गई. महंत को मंत्रोच्चारण और पुष्पवर्षा के साथ अलविदा कहा गया. इस दौरान बड़ी संख्या में अलग-अलग मठों, अखाड़ों के संत मौजूद रहे. पोस्टमॉर्टम के बाद महंत नरेंद्र गिरि का पार्थिव शरीर संगम तट पर ले जाया गया और वहां उन्हें अंतिम स्नान कराया गया. वहीं, पुलिस महंत नरेंद्र गिरि के संदिग्ध मौत की जांच कर रही है.
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महंत नरेंद्र गिरि को मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ श्रीमठ बाघंबरी गद्दी में उनके गुरु के बगल में भू-समाधि दे दी गई. महंत पद्मासन मुद्रा में ब्रह्मलीन हुए. हालांकि, यह समाधि अब एक साल तक कच्ची ही रहेगी. इस पर शिवलिंग की स्थापना कर रोजाना पूजा-अर्चना होगी. इसके बाद समाधि को पक्का किया जाएगा.
संत समाज बोला : महंत नरेंद्र गिरि की मौत का सच सामने आना चाहिए
महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद संत समाज शोक में डूबा हुआ है. उनकी मौत को लेकर कोई सीबीआई से जांच कराने की बात कर रहा है तो कोई न्यायलय से, लेकिन संत समाज चाह रहा है कि उनकी मौत का सच समाज के सामने आए, जिससे दूध का दूध पानी का पानी हो सके. गोवर्धन पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी आधोक्षानंद देव तीर्थ का कहना है कि महंत नरेंद्र गिरि का निधन समाज की बड़ी क्षति है. वे धर्म और संस्कृति के रक्षक थे. उनकी मौत की घटना की जांच होनी चाहिए, जिससे सच समाज के सामने आ सके.
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आखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने कहा कि पहले तो हम महंत की समाधि बनवाना चाहते हैं. इसके बाद पूरा आखाड़ा बैठकर आपस में राय-मशिविरा करेंगे. इसके बाद कोई निर्णय लेंगे. स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी टीकरमाफी आश्रम के पीठाधीश्वर ने कहा कि महंत की मौत का सच समाज के समाने आना चाहिए. यह घटना समाज के लिए एक कलंक है. संत दूसरों को मार्ग दिखाते हैं, वे फांसी क्यों लगा लेंगे. आखिर उन्हें कौन सा ऐसा कष्ट था. वह फांसी नहीं लगा सकते. उनके साथ कोई न कोई षड्यंत्र जरूर हुआ है. उनका पूरा शरीर काला पड़ चुका था. आखाड़ा वाले निर्णय लेंगे. इसका सच जरूर सामने आए. दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा. जो तरह-तरह की बातें आ रही हैं, समाप्त हो जाएंगी. अगर कोई फांसी लगाता है तो संत उसकी सदैव निंदा करते हैं। सच को सामने लाने की जरूरत है.
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