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लखनऊ हिंसा: इलाहाबाद HC का चला डंडा, योगी सरकार को पोस्टर हटाने के आदेश

हाईकोर्ट ने योगी सरकार को पोस्टर हटाने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने आदेश दिया है कि 16 मार्च को सरकार रजिस्ट्रार जनरल को कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करे.

Updated on: 09 Mar 2020, 02:30 PM

इलाहाबाद:

राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) का 19 दिसंबर 2019 को विरोध करने के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनकारियों से क्षति की वसूली के लिए पोस्टर लगाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपना फैसला सुना दिया है. हाईकोर्ट ने योगी सरकार को पोस्टर हटाने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने कोर्ट के महानिबंधक के समक्ष पोस्टर हटाए जाने संबंधी कृत कार्रवाई की रिपोर्ट 16 मार्च से पहले दाखिल करने को कहा है.

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इससे पहले मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की स्पेशल बेंच ने इस मामले पर रविवार को सुनवाई की थी. उसके बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. सीएए के विरोध में लखनऊ में उपद्रव और तोड़फोड़ करने के आरोपी का पोस्टर लगाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की इस कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की थी और इस मामले में रविवार को लखनऊ के जिलाधिकारी और कमिश्नर को तलब किया था.

दरअसल, 19 दिसंबर 2019 को लखनऊ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. शहर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष में कई जगहों पर तोड़फोड़ और आगजनी हुई थी. इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी, जबकि बड़ी संख्या में लोग जख्मी हुए थे. इसके बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने उपद्रवियों की पहचान कर उनसे से नुकसान की भरपाई के आदेश दिए थे. इसी के तरह लखनऊ में राजस्व अदालत के स्तर पर नुकसान की भरपाई के लिए उपद्रवियों के खिलाफ रिकवरी नोटिस जारी किया गया था. इस हिंसा में 1.61 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ. हजरतगंज समेत 4 थाना क्षेत्रों में डेढ़ करोड़ से अधिक नुकसान की वसूली के लिए तीन आदेश जारी किए गए और सभी को 30 दिन की मोहलत दी गई.

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बाद में लखनऊ जिला प्रशासन ने सार्वजनिक संपत्ति को पहुंची क्षति की भरपाई के लिए आरोपियों के फोटो वाली होर्डिंग जगह-जगह लगवा दी थीं. इन होर्डिंग में सामाजिक कार्यकर्ता सदर जाफर, सेवानिवृत्त आईपीएस अफसर एसआर दारापुरी, कलाकार दीपक कबीर और वकील मोहम्मद शोएब की तस्वीरें भी लगी थीं. कुल 57 लोगों को लखनऊ हिंसा को जिम्मेदार बताते हुए जगह-जगह पोस्टर लगाए गए थे. इस पर हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेते हुए होर्डिंग-पोस्टर को हटाने का आदेश दिया है.

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