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देश में कोरोना फैलाने पर कोर्ट ने तबलीगी जमातियों को सुनाई ये सजा

थाईलैंड, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान और बांग्लादेश से उत्तर प्रदेश पहुंचे तब्लीगी जमात के 49 विदेशियों ने देश में कोरोना वायरस फैलाने का जुर्म कबूल कर लिया है.

Updated on: 24 Feb 2021, 11:25 PM

लखनऊ:

थाईलैंड, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान और बांग्लादेश से उत्तर प्रदेश पहुंचे तब्लीगी जमात के 49 विदेशियों ने देश में कोरोना वायरस फैलाने का जुर्म कबूल कर लिया है. इस पर लखनऊ की सीजेएम कोर्ट ने 49 आरोपियों को जेल में बिताई गई अवधि और 1500-1500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान इन लोगों पर केंद्र और राज्य की गाइडलाइंस के उल्लंघन का आरोप लगा था. साथ ही टूरिस्ट वीजा पर मस्जिदों में घूम-घूम कर तबलीगी जमात में भी शामिल होने का आरोप लगा है. इस मामले में आरोपियों के खिलाफ बहराइच, सीतापुर, भदोही और लखनऊ में केस दर्ज किए गए थे.

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उधर, दिल्ली की अदालत ने 35 तब्लीगी जमात के सदस्यों के पासपोर्ट जारी करने के आदेश दिए हैं. निजामुद्दीन मरकज मामले में कोर्ट ने इन सभी को बरी कर दिया था. आपको बता दें कि निजामुद्दीन मरकज़ से जुड़े 35 विदेशी जमातियों को साकेत कोर्ट ने दिसंबर 2020 में बरी कर दिया था. सभी 36 जमातियों पर कोरोना वायरस महामारी एक्ट के उल्लंघन का आरोप था. यह कोई पहला मौका नहीं जब इस मामले में जमाती बरी हुए हैं, जबकि इससे पहले भी कई जमाती जुर्माना भरने या बरी होने के बाद अपने देशों को वापस जा चुके हैं. मार्च में ही जमातियों पर चॉर्टड प्लेन से भारत छोड़ने के आरोप लगे थे.

तब्लीगी जमात में SC ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सबसे अधिक दुरुपयोग

कोरोना काल में तब्लीगी जमात को लेकर हुई रिपोर्टिंग के मामले में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि हाल के दिनों में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सबसे अधिक दुरुपयोग हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से जूनियर ऑफिसर के द्वारा दायर हलफनामे पर भी ऐतराज जताया है और सीनियर ऑफिसर से हलफनामा दायर करने को कहा है.

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सुप्रीम कोर्ट ने तब्लीगी जमात मुद्दे पर मीडिया की कथित अभिप्रेरित रिपोर्टिंग पर केन्द्र के 'कपटपूर्ण' हलफनामे के लिए उसकी खिंचाई की. उच्चतम न्यायालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव से इस तरह के मामलों में मीडिया की अभिप्रेरित रिपोर्टिंग को रोकने के लिए पूर्व में उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा देने को कहा है. कोर्ट ने यह भी पूछा है कि सरकार बताए कि उस दौरान किसने आपत्तिजनक रिपोर्टिंग की और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई.