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सीएम योगी आदित्यनाथ Photograph: (Social)
UP News: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर सबकी नजर है, लेकिन इनका सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पड़ने वाला है. यूपी के भाजपा नेता इस चुनाव परिणाम को लेकर खासे उत्सुक हैं, क्योंकि पार्टी बिहार के अनुभवों से सीख लेकर 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार करेगी. भाजपा ने बिहार में टिकट बंटवारे के दौरान जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए पिछड़े, अतिपिछड़े और दलित वर्ग को विशेष महत्व दिया है. पार्टी का मकसद है कि इसी फार्मूले को यूपी में भी लागू कर विपक्षी गठबंधन, विशेषकर पीडीए, को चुनौती दी जा सके.
ऐसा एनडीए ने बनाया संतुलन
बिहार में एनडीए (भाजपा-जदयू गठबंधन) ने टिकट वितरण में बेहद सोच-समझकर सामाजिक संतुलन बनाया है. भाजपा ने अपने हिस्से की सीटों में से पिछड़े वर्ग के 24, अति पिछड़े वर्ग के 16 और कुल 6 यादव उम्मीदवारों को मौका दिया. साथ ही राजपूत, भूमिहार और कायस्थ समाज से 49 प्रत्याशी उतारे गए हैं, जिससे सवर्ण वर्ग का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित हो सके.
अनुसूचित जाति वर्ग में पार्टी ने सबसे अधिक उम्मीदवार पासवान समाज से चुने हैं. दूसरी ओर, जदयू ने अपने हिस्से की सीटों पर पिछड़े वर्ग के 37, अति पिछड़े वर्ग के 22 और यादव समाज के 8 उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इससे साफ संकेत मिलता है कि एनडीए ने जातीय संतुलन को प्राथमिकता बनाकर चुनावी रणनीति तैयार की है.
बिहार के चुनावी परिणामों का होगा अध्ययन
भाजपा अब बिहार के चुनावी परिणामों का गहन अध्ययन करेगी ताकि समझा जा सके कि कौन-सी रणनीति सबसे प्रभावी रही. इन नतीजों के आधार पर यूपी में पार्टी की नई राजनीतिक दिशा तय की जाएगी. इससे पहले पंचायत चुनावों में इस रणनीति का परीक्षण किया जाएगा ताकि उसका असर परखा जा सके.
पिछड़े और दलित वर्गों को जोड़ने की कोशिश
सूत्रों के अनुसार, बिहार में एनडीए ने सरकार की वापसी सुनिश्चित करने के लिए माइक्रो लेवल पर काम किया है. पार्टी ने लोकसभावार क्लस्टर बनाकर प्रत्येक क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति, कार्यकर्ताओं की सक्रियता और मौजूदा विधायकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया है. अगर यह प्रयोग सफल रहता है, तो यूपी में भी इसी मॉडल को अपनाने की योजना है.
भाजपा संगठन स्तर पर पहले ही इस दिशा में काम शुरू कर चुका है. विभिन्न अभियानों में पिछड़े और दलित वर्गों को जोड़ने पर फोकस किया जा रहा है, जो संकेत देता है कि पार्टी आगामी चुनाव में सामाजिक समीकरणों के सहारे एक बार फिर मजबूत सियासी पिच तैयार करने की कोशिश में है.
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