मस्जिदों में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर पर रहेगी पाबंदी
प्रयागराज में मस्जिदों से लाउडस्पीकर से तेज आवाज में अजान पर कोहराम का मामला मचा है. आईजी प्रयागराज केपी सिंह ने रेंज के चारों जिलों के डीएम और एसएसपी को पत्र भेजा है.
नई दिल्ली:
प्रयागराज में मस्जिदों से लाउडस्पीकर से तेज आवाज में अजान पर कोहराम का मामला मचा है. आईजी प्रयागराज केपी सिंह ने रेंज के चारों जिलों के डीएम और एसएसपी को पत्र भेजा है. पत्र के जरिए पॉल्यूशन एक्ट और हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सख्ती से पालन कराने को कहा है. रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक पूरी तरह से लाउडस्पीकर बजाने पाबंदी रहेगी. आईजी के मुताबिक, गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा था कि लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का धार्मिक हिस्सा नहीं है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अजान इस्लाम का धार्मिक भाग है. लोगों को बिना ध्वनि प्रदूषण नींद का अधिकार है और यह जीवन के मूल अधिकार में शामिल है. किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन का अधिकार नहीं है.
आईजी के अनुसार, पॉल्यूशन एक्ट में भी रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने की मनाही है. इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने तीन मार्च को डीएम को पत्र लिखा था. क्लाइव रोड की मस्जिद में तेज आवाज में अजान से नींद में खलल को लेकर डीएम प्रयागराज को पत्र लिखा था. पत्र की कॉपी कमिश्नर आईजी और डीआईजी को भी भेजी थी. मामले के तूल पकड़ने पर मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने पहल की है. लाउडस्पीकर की संख्या चार से घटाकर दो कर दी है. लाउडस्पीकर का वॉल्यूम भी कम कर दिया है. लाउडस्पीकर की दिशा भी कुलपति के आवास की ओर से बदल दी गई है.
लाउडस्पीकर से अजान को धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं कहा जा सकता : इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने 15 जून को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अजान इस्लाम का एक आवश्यक एवं अभिन्न हिस्सा हो सकता है, लेकिन लाउडस्पीकर या ध्वनि बढ़ाने वाले किसी अन्य उपकरण के जरिए अजान (Azan) बोलने को इस धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं कहा जा सकता है. अदालत ने कहा कि इसलिए किसी भी परिस्थिति में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
हालांकि न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने कहा कि मस्जिद की मीनारों से मुअज्जिन ‘एंप्लीफायर’ वाले उपकरण के बिना अजान बोल सकते हैं और प्रशासन को कोविड-19 महामारी रोकने के दिशानिर्देश के बहाने इसमें किसी तरह का अवरोध उत्पन्न नहीं करने का निर्देश दिया जाता है. अदालत ने कहा कि प्रशासन इसमें तब तक अवरोध पैदा नहीं कर सकता जब तक कि ऐसे दिशानिर्देशों का उल्लंघन न किया जाए.
इन व्यवस्थाओं के साथ अदालत ने गाजीपुर से सांसद अफजल अंसारी द्वारा दायर जनहित याचिका का अंततः निस्तारण कर दिया. अंसारी ने अदालत से गुहार लगाई थी कि गाजीपुर के लोगों के धर्म के मौलिक अधिकार की सुरक्षा की जाए और राज्य सरकार को यह निर्देश दिया जाए कि वह गाजीपुर की मस्जिदों से एक मुअज्जिन को अजान बोलने की अनुमति दे. पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी फर्रुखाबाद और अन्य जिलों के मुस्लिमों के संबंध में इसी तरह की राहत के लिए इस अदालत का दरवाजा खटखटाया था. खुर्शीद ने भी यही दलील दी थी कि अजान, इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा है.
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