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6 दिसंबर को अब मथुरा मस्जिद में कृष्ण प्रतिमा स्थापित करेगी हिंदू महासभा

मस्जिद के अंदर मूर्ति की स्थापना के लिए चुनी गई तारीख 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की सालगिरह के साथ मेल खाती है.

Updated on: 18 Nov 2021, 12:42 PM

highlights

  • शाही मस्जिद ईदगाह में लड्डू गोपाल का जलाभिषेक का एलान
  • देश की पवित्र नदियों के जल से लड्डू गोपाल का जलाभिषेक
  • 17वीं सदी की मस्जिद को हटाने की वाली कई याचिकाएं हैं दाखिल

मथुरा:

अखिल भारत हिंदू महासभा ने घोषणा की है कि वह देवता के 'वास्तविक जन्मस्थान' पर भगवान कृष्ण की एक मूर्ति स्थापित करेगी, जो दावा करते हैं कि वह यहां एक प्रमुख मंदिर के पास मस्जिद में है. इसके तहत महासभा ने शाही मस्जिद ईदगाह में लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करने का एलान किया है. जानकारी के मुताबिक देश के विभिन्न हिस्सों से पवित्र नदियों का जल लेकर महासभा के पदाधिकारी मथुरा पहुंचेंगे. इस जल से आराध्य का अभिषेक किया जाएगा और उनका पूजन होगा. लड्डू गोपाल का विग्रह खुद महासभा ईदगाह में ले जाएगी. गौरतलब है कि स्थानीय अदालतें कटरा केशव देव मंदिर के करीब स्थित 17वीं शताब्दी की मस्जिद को 'हटाने' की मांग करने वाली याचिकाओं की एक श्रृंखला पर सुनवाई कर रही हैं.

हिंदू महासभा के नेता राज्यश्री चौधरी ने कहा कि प्रतिमा को छह दिसंबर को 'महा जल अभिषेक' के बाद जगह को 'शुद्ध' करने के लिए स्थापित किया जाएगा. मस्जिद के अंदर मूर्ति की स्थापना के लिए चुनी गई तारीख 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की सालगिरह के साथ मेल खाती है. हालांकि हिंदू महासभा के नेता राज्यश्री चौधरी ने 1992 की घटना और मथुरा योजना के बीच कोई संबंध होने से इनकार किया. शाही ईदगाह के अंदर अनुष्ठान करने के लिए महासभा की धमकी ऐसे समय में आई है जब स्थानीय अदालतें कटरा केशव देव मंदिर के करीब स्थित 17वीं शताब्दी की मस्जिद को 'हटाने' की मांग करने वाली याचिकाओं की एक श्रृंखला पर सुनवाई कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि 'महा जल अभिषेक' के लिए पवित्र नदियों का पानी लाया जाएगा. चौधरी ने कहा कि हमें अब तक राजनीतिक आजादी मिली है, लेकिन आध्यात्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आजादी अभी हासिल नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि महासभा का मकसद आजाद भारत, सनातन भारत को वापस लाना है. महासभा चाहती है कि आजाद भारत उभर कर आए. हमारा मस्जिद या किसी परिसर से कोई मतलब नहीं है. ये मस्जिद नहीं ईदगाह है और इसका मतलब है पब्लिक मीटिंग प्लेस, तो फिर ये विवादित कैसे? यहां कोई भी कभी भी जा सकता है. ईदगाह में हम खोदाई करेंगे तो आज भी ठाकुर केशवदेव मंदिर से जुड़ी मूर्तियां निकलेंगी.