Leptospirosis Infection: कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है ये बीमारी, वाराणसी में 10 से ज्यादा बच्चे मिले इससे पीड़ित
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कई बच्चे ऐसी बीमारी से पीड़ित पाए गए हैं जो कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक बताई जा रही है. इस बीमारी का नाम लेप्टोस्पायरोसिस बताया जा रहा है. ये बीमारी चूहों के मूत्र से इंसानों तक पहुंचती है.
highlights
- वाराणसी में लेप्टोस्पायरोसिस का प्रकोप
- लेप्टोस्पायरोसिस से पीड़ित मिले कई बच्चे
- चूहों से इंसानों में फैलती है ये बीमारी
New Delhi:
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कुछ बच्चे ऐसी बीमारी से पीड़ित मिले हैं जो कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक बताई जा रही है. लेप्टोस्पायरोसिस नाम की ये बीमारी चूहों से इंसानों में फैलती है. जो आमतौर पर बच्चों को ही अपना निशाना बनाती है. जानकारी के मुताबिक, इस बीमारी से अब तक 10 से ज्यादा बच्चे पीड़ित हो चुके हैं. जिन्हें इलाज के लिए शहर के निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. बच्चों में इस बीमारी के फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है. बताया जा रहा है कि तेज बुखार होने पर चेतगंज में एक बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
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डॉक्टरों ने जब बच्ची की जांच कराई तो ये बीमारी पकड़ में नहीं आई. इसके बाद बच्ची की सी रिएक्टिव प्रोटीन (CRP) जांच कराई गई. जिसमें बच्ची में सीआरपी ज्यादा मिली. उसके बाद डॉक्टरों ने बच्ची की लेप्टोस्पायरोसिस की जांच कराई. जिसमें वह पॉजिटिव पाई गई. सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस के बारे में जानकारी मिली है. बाल रोग विशेषज्ञों को अलर्ट किया गया है. इससे पहले 2013 में इस बीमारी के मामले सामने आए थे.
3-4 दिन बुखार होने पर न करें नजरअंदाज
भारतीय बाल अकादमी के अध्यक्ष डॉ. आलोक भारद्वाज का कहना है कि अगर बुखार तीन-चार दिन से ज्यादा रहतै है तो उसे हल्के में न लें. ऐसे में तुरंत सीआरपी की जांच कराइए. अगर सीआरपी ज्यादा आए तो समझ लें बैक्टीरियल बुखार है. इसके बाद लेप्टोस्पायरोसिस की जांच कराएं. इस बीमारी के लक्षण डेंगू और वायरल से मिलते हैं. इसमें प्लेटलेट्स तेजी से डाउन नहीं होती है. जो 30 से 40 हजार तक पहुंचने के बाद रिकवर हो जाता है.
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चूहे के मूत्र से फैलती है ये बीमारी
इस बीमारी के बारे में नवजात शिशु संघ के प्रदेश अध्यक्ष और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक राय ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अब तक बाल लेप्टोस्पायरोसिस पीड़ित पांच बच्चों का इलाज कर चुके हैं. यह बीमारी चूहे के मूत्र के जरिये बच्चों में फैलती है. इसमें डेंगू की तरह ही बुखार आता है. यह शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है इसमें पहले सामान्य बुखार होता है. इसके लक्षण पांच से छह दिन बाद मिलते हैं. सही इलाज न मिले तो बुखार 10 से 15 दिन रहता है. इससे कभी पीलिया तो कभी हार्ट फेल होने का खतरा रहता है.
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कोरोना से ज्यादा खतरनाक है ये बैक्टीरिया
बीएचयू के जीवविज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे का कहना है कि लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक होता है. इसकी मृत्यु दर कोरोना की चपेट में आने वालों की मृत्यु दर से अधिक है. कोरोना से मृत्यु दर एक से डेढ़ फीसदी है, जबकि लेप्टोस्पायरोसिस से तीन से 10 फीसदी मरीजों की जान चली जाती है. इस बीमारी के वाहक चूहे हैं. उन्होंने बताया कि अगर किसी की स्किन कटी हो शरीर का वह हिस्सा चूहे ने पेशाब के संपर्क में आ जाए तो लेप्टोस्पायरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है. यह बैक्टीरिया छह महीने तक पानी में जीवित रह सकता है. इसका इंफेक्शन जुलाई से अक्तूबर के बीच ज्यादा होता है.
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