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योगी सरकार के संकटमोचक बने राकेश टिकैत, जानें कैसे

लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में किसान आदोलन में भड़की हिंसा के कारण 4 किसानों की मौत हो गई।

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Deepak Pandey
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राकेश टिकैत और एडीजी लॉ आर्डर प्रशांत कुमार प्रेसवार्ता करते हुए।( Photo Credit : ani)

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नई दिल्ली। लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में किसान आदोलन के बाद भड़की हिंसा के कारण 4 किसानों की मौत हो गई। इसके बाद से किसानों की नाराजगी चरम पर पहुंच गई.सरकार के लिए प्रशासन व्यवस्था को संभालना कठिन हो गया. कई नेताओं के रातोंरात घटनास्थल पर पहुंचने की कोशिश ने हालात को बेकाबू कर दिया. ऐसे में राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) योगी सरकार के काम आए. गौरतलब है कि बीते दिनों यूपी प्रशासन ने सारे राजनेताओं को लखीमपुर खीरी और तिकुनिया पहुंचने से रोक दिया गया. प्रियंका गांधी को सीतापुर में रोक लिया गया. वहीं चंद्रशेखर आजाद को सीतापुर टोल प्लाजा पर रोका गया. इस दौरान शिवपाल यादव, अखिलेश यादव, जयंत चौधरी को लखीमपुर पहुंचने से पहले रोक गया और उन्हें हिरासत में ले लिया गया. 

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पोस्टमार्टम को तैयार नहीं थे किसान

राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर से रात को चले और देर रात लखीमपुर खीरी के तिकुनिया के उस गुरुद्वारे पहुंचे, जहां पर चारों किसानों के शव रखे गए थे. किसान किसी सूरत में शवों का पोस्टमार्ट्म कराने को तैयार नहीं थे. मांग रखी गई थी गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी पर मुकदमा दर्ज कर उनके बेटे को गिरफ्तार​ किया जाए. 

किसानों की नाराजगी को देखते हुए लग रहा था कि उन्हें मनाना आसान नहीं होगा. इस दौरान एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार लगातार किसानों के संपर्क में थे.मगर जहां समझौते की बात आई तो किसान नेता राकेश टिकैत संकटमोचक की तरह सामने आए. 

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समझौते में रिटायर्ड जज से मामले की न्यायिक जांच, प्रत्येक मृतक परिवार को 45 लाख का मुआवजा, घायलों के लिए 10 लाख का मुआवजा, 8 दिनों के अंदर मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी और मृतक परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने की बात कही गई. इसके बाद राकेश टिकैत ने एडीजी के साथ एक प्रेसवार्ता करी, जिसमें किसानों मनाने का प्रयास किया गया.  

किसानों द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर तिकुनिया थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है, समझौते के मुताबिक नई तहरीर में मंत्री अजय मिश्रा का नाम नहीं है, सिर्फ बेटे आशीष मिश्रा और कुछ अज्ञात लोगों पर FIR दर्ज कराई गई है. अधिकारियों से इसी आधार पर समझौता हुआ है की मंत्री मौके पर नहीं थे, इसलिए किसानों की तहरीर में अब उनका नाम नहीं है, पहले तहरीर में किसानों ने मंत्री का नाम भी लिखा था.

Source : News Nation Bureau

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