कृष्णानंद राय की हत्या के बाद हफ्ते भर तक जलता रहा पूर्वांचल, जानिए कब क्या हुआ
कृष्णानंद राय हत्याकांड में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. इसमें माफिया डॉन मुख्तार अंसारी समेत सभी 5 आरोपियों को बरी कर दिया गया है. जानिए कृष्णानंद राय हत्याकांड की पूरी कहानी.
नई दिल्ली:
कृष्णानंद राय हत्याकांड (Krishnanand Rai Murder Case) में स्पेशल सीबीआई कोर्ट (CBI Court) ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. इसमें माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) समेत सभी 5 आरोपियों को बरी कर दिया गया है. इस केस में मुन्ना बजरंगी (Munna Bajrangi) को भी बरी कर दिया गया है. जिसकी पिछले साल बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मुन्ना बजरंगी (Munna Bajrangi) को खूंखार हत्यारा माना जाता था. आइए जाने हैं कि इस हत्याकांड की पूरी कहानी क्या है.
मुख्तार के लिए राय बन गए थे चुनौती
बताया जाता है कि 90 के दशक के आखिर में पूर्वांचल के सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) का कब्जा था. लेकिन इसी दौर में बीजेपी (BJP) के विधायक कृष्णानंद राय (Krishnanand Rai) भी तेजी से उभर रहे थे. वह खुद एक बाहुबली थे. वह लगातार मुख्तार के लिए चुनौती बनते जा रहे थे.
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कृष्णानंद राय का करीबी ब्रजेश लगातार अपने गैंग की ताकत बढ़ा रहा था. इतना ही नहीं इनकी धमक अंडरवर्ल्ड में भी सुनाई देने लगी थी. जब मुख्तार कृष्णानंद को चुनौती समझने लगा तो उसने मुन्ना बजरंगी को जिम्मेदारी सौंपी कि राय को खत्म कर दे.
7 शवों में से निकली 67 गोली
गाजीपुर में 29 नवंबर 2005 की शाम को भांवरकोल क्षेत्र के बसनिया पुलिया की करीब अपराधियों ने AK-47 से बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय (Krishnanand Rai) व उनके छह साथियों को गोली से भून दिया था. इसमें उनके साथ मुहम्मदाबाद से पूर्व ब्लॉक प्रमुख श्यामशंकर राय, अखिलेश राय, भांवरकोल ब्लॉक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव और उनके बॉडीगार्ड निर्भय नारायण की हत्या कर दी गई थी.
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कृष्णानंद राय मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में एक क्रिकेट प्रतियोगिता का उद्घाटन करने के बाद सियाड़ी से बसनिया के लिए जा रहे थे. लेकिन लट्ठूडीह-कोटवा मार्ग पर उनकी मौत खड़ी थी. राय का काफिला जब बसनिया चट्टी के आगे बढ़ा तो उसी वक्त घात लगाकर बैठे हत्यारों ने उन पर गोली बारी शुरू कर दी.
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इस घटना में करीब 400 गोलियां चलाई गई थीं. मारे गए 7 लोगों के शरीर से 67 गोलियां निकली थीं. मुखबिरी इतनी सटीक थी कि अपराधियों को पता था कि राय अपने बुलेट प्रूफ वाहन में नहीं हैं. राय को मारने के बाद आरोपी निशानी के तौर पर अंगूठी निकाल ले गए थे.
जल उठा था पूर्वांचल
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय (Krishnanand Rai) समेत सात लोगों की एक साथ हत्या के बाद गाजीपुर (Ghazipur) जिला जल उठा था. इस हत्याकांड ने यूपी समेत बिहार में हड़कंप मचा दिया. इस हत्याकांड के विरोध में एक हफ्ते तक गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, वाराणसी में आगजनी, तोड़फोड़ और आंदोलन होता रहा.
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उस समय पूरे पूर्वांचल में डर का माहौल था. आंदोलन की कमान पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह संभाल रहे थे. तत्कालीन सपा की सरकार प्रदेश की जांच एजेंसी की रिपोर्ट सही ठहरा रही थी वहीं बीजेपी पूरे मामले की सीबीआई जांच चाहती थी.
कोर्ट ने दिए थे CBI जांच के आदेश
कृष्णानंद राय (Krishnanand Rai) की हत्या के बाद उनकी पत्नी अलका राय (Alka Rai) की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए. बाद में अलका राय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि अपराधियों को सत्ता संरक्षण दे रही है.
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जिससे सुनवाई के दौरान गवाहों के जान का भय बना हुआ है. इसलिए पूरे मामले की सुनवाई गैर प्रदेश की कोर्ट में हो. अलका राय की दलीलों से सहमत होते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को गैर प्रदेश के कोर्ट में करने की मंजूरी दी.
BJP मनाती है बलिदान दिवस
उत्तर प्रदेश में बीजेपी (BJP) अपने विधायक को याद करने के लिए हर साल 29 नवंबर को बलिदान दिवस (Balidan Diwas) मनाती है. तब से अब तक स्व. कृष्णानंद राय व उनके सहयोगियों को याद करने के लिए शहीद पार्क मुहम्मदाबाद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करके उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. पहली पुण्यतिथि कृष्णानंद राय के पैतृक गांव गोड़उर में मनाई गई थी जिसमें राजनाथ सिंह और लालकृष्ण आडवाणी समेत बीजेपी के कई कद्दावर नेताओं ने शिरकत की थी.
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