महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र का मामला अभी शांत नहीं हुआ कि अब उत्तर प्रदेश की बहराइच से ऐसा ही एक मामला सामने आ गया. दरअसल, बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह है. दरगाह पर हर साल जेठ मेला लगता है. इसे मेले पर रोक लगाने की मांग की जा रही है.
विश्व हिंदू परिषद और अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने ज्ञापन में मांग की है कि सैयद सालार मसूद हाजी की दरगाह पर लगने वाले उर्स पर रोका जाए. इस विरोध के बीच, आइये जानते हैं कौन हैं सैयद सालार मसूद गाजी और उत्तर प्रदेश का उससे क्या रिश्ता था.
सैयद गाजी महमूद गजनवी का भांजा था. वह गजनवी का सेनापति भी था. गाजी ने 1006 में सोमनाथ के आसपास हमला किया था. वह गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश गया. यहां उसका मुकाबला श्रावस्ती के राजा राजा सुहैलदेव से हुआ. महाबलि सुहैलदेव ने 21 राजाओं के साथ मिलकर संयुक्त सेना बनाई. बहराइच में सालार गाजी का संयुक्त सेना के साथ मुकाबला हुआ. युद्ध में सैयद गाजी हार गया. सालार गाजी को बहराइच में ही दफनाया गया और इसी जगह पर आज उसकी कब्र है.
हर साल संभल-बहराइच में लगता है मेला
साल 1034 में मार गए गाजी की कब्र पर साल 1250 में मकबरा बनाया गया. तब से लेकर आज तक दरगाह पर हर साल चार ऊर्स लगते हैं. जायरीन सालार गाजी की कब्र पर चादर चढ़ाते हैं. सालारा गाजी के नाम पर संभल में हर साल नेजा मेला आयोजित किया जाता है तो बहराइच में दरगाह पर हर साल मेला आयोजित होता है.
कहां दफनाया गया सालार?
सैयद सालार गाजी को मरने के बाद बहराइच के चित्तौरा झील के किनारे दफनाया गया. मौत के 200 साल बाद 1250 में दिल्ली के शासक नसीरुद्दीन महमूद ने कब्र को मकबरा का रूप दिया. फिरोजशाह तुगलक ने इसके बाद मकबरे के बगल में कई गुंबदों का निर्माण करवाया, जिसके बाद से हर साल यहां मेला लगता है. हिंदू संगठन इसी मेले का विरोध कर रहा है. हिंदू संगठनों का कहना है कि बहराइच से सालार की कब्र हटाई जाए.