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'गोरखपुर महोत्सव के मंच में बिखरेगा खादी का जलवा'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खादी के मुरीद हैं. हाल के वर्षों में इसकी लोकप्रियता और रेंज दोनों बढ़ी है. अब इसे युवा भी पसंद करने लगे हैं. यह खद्दर ही नहीं बल्कि सूती, मसलिन, सिल्क के रंगबिरंगे डिजाइन में आ रही है.

Updated on: 11 Jan 2021, 12:23 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 12 और 13 जनवरी को होने वाले महोत्सव में खादी का जलवा बिखेरा जाएगा. इस दौरान होने वाले कई कार्यक्रमों के बीच खादी का फैशन शो भी आकर्षण का केंद्र होगा. महोत्सव में मंगलवार (12 जनवरी) की शाम खादी के कपड़े पहन कर इस फैशन शो में रैंप पर प्रतिष्ठित मॉडल डिंपल पटेल की अगुआई में कैटवॉक करेंगी. इस दौरान ये मॉडल नामचीन डिजाइनर अस्मा हुसैन, रुना बैनर्जी और रुपिका रस्तोगी गुप्ता द्वारा डिजाइन की गई डिजाइनर ड्रेस पहनेंगीं. यह कार्यक्रम 12 जनवरी को चम्पा देवी पार्क में महोत्सव के मुख्य मंच पर शाम 5.30 बजे से 6.15 बजे तक आयोजित होगा. टॉप 16 प्रोफेशनल्स फेमिना मॉडल्स रैंप वॉक करेंगे. टॉप डिजाइनर्स के 3 राउंड होंगे. अंतरराष्ट्रीय कलाकार मनोरंजन फिलर 'तनुरा नृत्य' की प्रस्तुति भी देंगे.

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मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खादी के मुरीद हैं. हाल के वर्षों में इसकी लोकप्रियता और रेंज दोनों बढ़ी है. अब इसे युवा भी पसंद करने लगे हैं. यह खद्दर ही नहीं बल्कि सूती, मसलिन, सिल्क के रंगबिरंगे डिजाइन में आ रही है. महिलाएं खादी की साड़ियां पसंद कर रहीं हैं, वही खादी का कुर्ता, सूट अब चलन में हैं. इको फ्रेंडली होने के नाते यह त्वचा के लिए नुकसानदायक नहीं होता.

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खादी ग्रामोद्योग में खादी वस्त्र की डिजाइनर अस्मा हुसैन कहती हैं कि सूती खादी, कॉटन सिल्क, मसलिन आदि में लड़कों के लिए लंबे व शॉर्ट कुर्ते व धोती पंसद किया जा रहा है. लड़कियों के लिए टॉप, शॉर्ट कुर्ते, कुर्ता-सलवार, साड़ी, सूट मैटीरियल खादी ग्रामोद्योग में आसानी से उपलब्ध हैं. खादी को सिल्क, वूल और कॉटन के साथ मिक्स किया जा रहा है. सिल्क और खादी के वस्त्रों को 50-50 प्रतिशत के अनुपात से निर्मित किया जा रहा. फैब्रिक महंगा है, लेकिन राजसी लुक देता है. इसमें सलवार-कमीज, कुर्ता-पाजामा, साड़ी, जैकेट आदि परिधान बाजार में उपलब्ध हैं.

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प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग नवनीत सहगल ने बताया कि शुद्ध रूप से देशी, हाथ से बनी और इको फ्रेंडली खादी सिर्फ वस्त्र नहीं बल्कि एक विचार है. यह जंगे आजादी का प्रतीक है. खादी ने देश को गौरवान्वित किया है. इसे पहनने वाले लोग भी खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. गोरखपुर महोत्सव के मंच पर इस गौरव को पिछले वर्ष भी प्रतिष्ठित किया गया था. इस बार भी यह कार्यक्रम महोत्सव की गरिमा बढ़ाने के साथ युवाओं को खादी पहनने के लिए प्रेरित करेगा.

खादी की मांग बढ़ेगी तो स्थानीय स्तर पर बुनकरों को रोजगार मिलेगा, उनकी आय बढ़ेगी. सूत कातने का काम अधिकाशत: महिलाएं करती हैं. ऐसे में यह मिशन शक्ति और मिशन रोजगार से भी जुड़ता है. यह आयोजन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इच्छा के मुताबिक समृद्धि के नए मार्ग खोलने के लिए खादी के बने वस्त्रों को स्टाइल स्टेटमेंट के रूप में प्रतिष्ठित करने की कोशिशों की कड़ी है.