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kaushambi snake bite girl Photograph: (NN)
UP News: कौशांबी जिले के सिराथू तहसील के भैंसाहा पर गांव में इन दिनों दहशत का माहौल है. वजह है – एक ही लड़की को बार-बार सांप के डसने की घटना. रिया मौर्या नाम की किशोरी को अब तक 11 बार सांप काट चुका है. हैरानी की बात यह है कि गांव के किसी और व्यक्ति पर सांप ने हमला नहीं किया. इस घटना ने ग्रामीणों को गहरी दहशत और अंधविश्वास के जाल में डाल दिया है.
रिया मौर्या पर सांप का बार-बार हमला
22 जुलाई से अब तक रिया को अलग-अलग मौकों पर 11 बार सांप डस चुका है. रिया के पिता राजेंद्र मौर्या बताते हैं कि अस्पताल से इलाज कराकर बेटी को जब भी घर लाया जाता है, कुछ दिनों बाद सांप फिर से काट लेता है. परिजनों का कहना है कि एक ही जोड़ा सांप बार-बार खेत से घर तक के रास्ते में रिया को ही निशाना बनाता है. जब वह अकेली होती है, तभी उस पर हमला होता है.
गांव में फैल गई चर्चाएं और अंधविश्वास
इस रहस्यमय घटना को लेकर गांव में तरह-तरह की कहानियां फैल रही हैं. कुछ लोग इसे “नाग-नागिन का बदला” मान रहे हैं तो कुछ इसे अनहोनी घटना से जोड़ रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि घर में पांच लोग हैं, लेकिन निशाना केवल रिया को ही बनाया जा रहा है. इससे लोग हैरान और सहमे हुए हैं.
एक्सपर्ट्स ने किया ये दावा
सांपों को लेकर समाज में कई भ्रांतियां हैं कि वे दुश्मनी पाल लेते हैं या आंखों में तस्वीर कैद कर लेते हैं. लेकिन स्नेक एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह पूरी तरह अंधविश्वास है. वैज्ञानिक मानते हैं कि सांपों की याददाश्त इतनी मजबूत नहीं होती कि वे किसी इंसान को पहचानकर बदला ले सकें. असल में, सांपों के शरीर से निकलने वाले रसायन और गंध (फैरामोन) की वजह से दूसरे सांप उस जगह पहुंच जाते हैं और लोग इसे “बदला” मान लेते हैं.
डर और हकीकत के बीच गांव
रिया के पैरों पर सांप के डसने के कई निशान साफ दिखते हैं. बार-बार डसने की वजह से उसका इलाज लगातार जारी है, लेकिन उसके मन में डर बैठ गया है. ग्रामीण भी दहशत में हैं कि कहीं यह जोड़ा सांप फिर किसी और को निशाना न बना ले. वन विभाग और प्रशासन से मदद की अपील की गई है.
यह मामला सिर्फ एक गांव की दहशत की कहानी नहीं, बल्कि उन अंधविश्वासों का आईना भी है जो आज भी समाज में गहराई से मौजूद हैं. विशेषज्ञ साफ कहते हैं कि सांप इंसानों से बदला नहीं लेते, बल्कि जंगलों के खत्म होने से बस्तियों में भटकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि डर और अफवाहों से दूर रहकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जाए और जरूरत पड़ने पर तुरंत वन विभाग को सूचना दी जाए.
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