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आतंकियों के डर से इस परिवार ने छोड़ा था कश्मीर, धारा 370 हटने के बाद ऐसे मनाई खुशी

धारा 370 और 35-A हटने पर जहां पूरे देश में हर्ष और उल्लास का माहौल है, वहीं आगरा में एक परिवार ऐसा है जिसकी खुशी देखते ही बनती है. खुशी का कारण यह है कि यह परिवार कश्मीर के हालात से पीड़ित है.

Updated on: 06 Aug 2019, 05:15 PM

highlights

  • परिवार के चाचा को आतंकियों ने मार दी थी गोली
  • डर के मारे पूरे परिवार ने छोड़ दिया था कश्मीर
  • अब वापस जाकर बिजनेस करना चाहता है परिवार

आगरा:

धारा 370 और 35-A हटने पर जहां पूरे देश में हर्ष और उल्लास का माहौल है, वहीं आगरा में एक परिवार ऐसा है जिसकी खुशी देखते ही बनती है. खुशी का कारण यह है कि यह परिवार कश्मीर के हालात से पीड़ित है. इस परिवार के मुखिया को आतंकवादियों ने मौत के घाट उतार दिया था. आतंकियों ने परिवार को डरा धमका कर कश्मीर से भगा दिया था.

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तबसे इस परिवार को इंतजार था तो बस इतना कि कब कश्मीर आजाद होगा और कब वो अपनी जमीन पर बापस बेखौफ जा सकते हैं. सोमवार को जैसे ही धारा 370 और 35A को हटने की खबर सामने आई. पूरे परिवार में खुशियां छा गईं. मिठाइयां बांटने का दौर शुरू हो गया. यह परिवार है ताज नगरी आगरा के राजपुर चुंगी के रहने वाले 53 वर्षीय हरीश लांबा का.

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आज ये पूरा परिवार खुश है. घर में मिठाई बांटी जा रही हैं. खुशी की चमक इनके चेहरे पर साफ देखी जा सकती है. जब इनको सूचना मिली कि कश्मीर से धारा 370 और 35a हटा दी गई है तो यह परिवार खुशी से झूम उठा. इस परिवार को इस खबर का इंतजार लगभग पिछले 30 सालों से था.

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घर के मुखिया कहते हैं कि ना जाने पिछले कई वर्षों से कितनी सरकारें आईं और गईं लेकिन किसी ने ये खुशी हम जैसे परिवारों को नही दी जो कश्मीर से भगा दिए गए. घर के मुखिया कहते हैं कि मुझे आज भी वह दिन याद है जब 19 मार्च 1990 को श्रीनगर के लाल चौक कनीकदल में जब उनके चाचा गुलशन लांबा अपनी बेकरी की दुकान से आ रहे थे तभी आसपास में अफरा-तफरी मच जाती है.

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कुछ आतंकवादी आकर सीधे चाचा के सिर में गोली मार देते हैं. घटना की खबर लगते ही जब वह दुकान पहुंचते हैं तो चाचा खून से लथपथ थे. अस्पताल जाने तक के लिए उन्हें कोई साधन मुहैया नहीं था. बमुश्किल अस्पताल पहुंचे जहां आतंकवादी फिर दोबारा पहुंचते हैं और उनको धमकी देते हैं कि अगर उन्होंने तस्लीम नहीं छोड़ा तो उनके पूरे परिवार को मार दिया जाएगा.

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चाचा की मौत अस्पताल में हो गई लेकिन डर का साया इस परिवार पर इतना हावी हुआ कि उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा. वह कहते हैं कि उनका कसूर सिर्फ इतना था कि वह हिंदू थे. वो कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं से कश्मीर से 90 परसेंट हिन्दू व कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर छोड़ दिया था, पर आज जो खुशी उन्हें इस खबर से मिली है वो इस बात को बयां करती है कि सही मायने में उन्हें आज इंसाफ मिला है.

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1990 में आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए गुलशन लाम्बा के बेटे विनीत लांबा इस बात को कहते हैं कि आज भी जब वह अपने चाचा से उस समय का किस्सा सुनते हैं तो कश्मीर जाने के लिए 10 बार सोचते हैं. पर आज उन्हें जब धारा 370 हटाने की खबर टीवी पर मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

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वो कहते हैं कि अब वह भी वहां जा सकते हैं और जैसे उनका पुश्तैनी परिवार वहां बेकरी का व्यापार किया करता, अगर मौका लगा तो वह भी अब वहां जाकर व्यापार करेंगे. ऐसा नहीं है कि यह खुशी सिर्फ परिवार के मुखिया के चेहरे पर हो. इस घर में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो महज कुछ साल पहले ही इस परिवार का हिस्सा बने हैं.

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जी हां हम बात कर रहे हैं इस परिवार की महिलाओं की जिन्होंने सिर्फ परिवार के पुरुषों से कश्मीर की किस्से और कहानियां सुनी थी, उनका मन था कि वो कश्मीर जाएं और अपनी पुश्तैनी जगह देखें. लेकिन जो उनके परिवार के साथ हुआ था उसका डर इतना था कि बस ये बातें जहन में दब जाती थीं.

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पर आज जब यह खबर सुनी तो उनकी भी उम्मीद जगी है कि अब वह भी कश्मीर में उस जगह जा सकते हैं जहां उनका परिवार रहा करता था. परिवार के पड़ोसी प्रमोद रावत इस बात को कहते हैं कि बरसों से यह परिवार हमारे साथ है. हम व्यापार भी साथ-साथ करते हैं. अक्सर जब भी हम घूमने जाया करते हैं उस परिवार का दर्द कश्मीर को लेकर झलक जाता था.

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वो कहते हैं कि मैंने इस परिवार के आंसू भी देखे हैं और आज खुशी भी मैंने देखी है. जब कश्मीर से 370 हटा, पीएम मोदी ने आज सिर्फ इस परिवार को ही नहीं बल्कि ना जाने ऐसे कितने ही परिवार हैं जो बरसों से इंसाफ का इंतजार कर रहे थे उनको इंसाफ दिलाया है.