Kashi Pt-1: महाकुंभ के कारण बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में भारी भीड़ हुई. आम दिनों में जहां लाख-सवा लाख लोग हर रोज बाबा विश्वनाथ के दर्शन करते थे. वहीं, महाकुंभ के दौरान, हर रोज करीब पांच लाख लोगों ने भगवान के दर्शन किए. 45 दिन में 4.32 करोड़ श्रद्धालु काशी पहुंचे. इतिहास में पहली बार महाशिवरात्रि पर बाबा ने 43 घंटे तक दर्शन दिए.
महाकुंभ के दौरान, श्रद्धालुओं की संख्या, कमाई और बाबा विश्वनाथ से जुड़े फैक्ट्स आपको चौंका देंगे. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...
महाकुंभ के दौरान 14 (मलेशिया, ब्रिटेन, रूस, यूक्रेन सहित अन्य) देशों से करीब एक लाख विदेशी श्रद्धालु काशी पहुंचे. भारत के 24 राज्यों के श्रद्धालु काशी पहुंचे. इनमें सबसे अधिक लोग राजस्थान, एमपी, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, हिमचाल, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के थे. महाशिवरात्रि पर करीब 25 लाख श्रद्धालुओं काशी आए.
होटल कारोबारियों की 1620 करोड़ की कमाई
काशी में हर रोज पांच लाख लोगों ने स्टे किया. काशी में 12 हजार छोटे-बड़े होटल और लॉज हैं. इनका किराया एक हजार रुपये से शुरू होकर 90 हजार रुपये तक रहा. होटल कारोबारियों ने 45 दिनों में 1620 करोड़ का बिजनेस किया.
रेस्तरां व्यापारियों की कमाई 1,575 करोड़
काशी में हर रोज करीब 10 लाख श्रद्धालुओं ने खाना खाया. काशी में छोटे बड़े पांच हजार से ज्यादा होटल हैं. लोगों को देखते हुए टॉफी-चॉकलेट बेचने वाले लोगों ने छोटे-छोटे भोजनालय खोल लिए. लोगों ने घरों को भी भोजनालयों में बदल दिया. पहली बार काशी के रेस्तरां 24 घंटे खुले. 45 दिनों में रेस्तरां का व्यापार 1,575 करोड़ रुपये का हुआ.
100 करोड़ के रुद्राक्ष बिके
काशी आए लोगों ने 100 करोड़ रुपये के रुद्राक्ष खरीदे. 45 दिनों में लोगों ने 50 करोड़ रुपये की भगवान कुबेर की प्रतिमाएं खरीदीं. काशी में रुद्राक्ष और पीतल के सामान बेचने वाली 450 दुकानें हैं, जो पहली बार 24 घंटे तक खुलीं.
नाविकों को 45 दिनों में 3240.8 करोड़ की कमाई
नाव और क्रूज से 45 दिनों में 3240.8 करोड़ रुपये की कमाई हुई. काशी के 84 घाटों पर 2500 बड़ी-छोटी नावों और 10 क्रूज चलते हैं. बड़ी नाव और क्रूज चलाने वाले नाविकों को 3036 करोड़ की कमाई हुआ. 191 करोड़ रुपये की कमाई छोटे नाविकों को हुई.