शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी ने खाया बीफ बर्गर? मुस्लिम पति जहीर ने किया इन दावों पर चौंकाने वाला खुलासा
IPL 2025 FINAL में लगेगा ग्लैमर का तड़का, RCB को अनुष्का, तो पंजाब किंग्स को सपोर्ट करेंगी ये 4-4 हसीनाएं
ओपनएआई ने भारत में अपने 'एआई फॉर इम्पैक्ट एक्सेलेरेटर प्रोग्राम' के अलगे चरण की घोषणा की
जयपुर कोर्ट ने शकूर खान को 7 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा, आईएसआई के लिए जासूसी का आरोप
Karnataka SSLC Exam 2 Answer Key 2025: कर्नाटक SSLC परीक्षा 2 उत्तर कुंजी 2025 जारी, छात्र ऐसे डाउनलोड कर सकते हैं उत्तर कुंजी
अभिनेता विष्णु मांचू ने बताया, क्या है उनका ‘कन्नप्पा पल’, फैंस से की अपील
25 वर्ष या उससे कम आयु वर्ग के युवा भारतीय 45 से 55 की उम्र में होना चाहते हैं रिटायर : रिपोर्ट
RCB vs PBKS Finale Live Update: फाइनल मैच पर बारिश का साया, जानें कैसा रहने वाला मैच अहमदाबाद का मौसम
विराट कोहली-रोहित शर्मा को शानदार विदाई देने की योजना बना रहा क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया

कारगिल के इन 'परमवीरों' का साहस जानकर आपका सीना चौड़ा हो जाएगा

आज एक ऐसा मौका है जब आपको उन हीरो को याद करना चाहिए जिन्होंने मां भारती के लिए अपने प्राण लुटाए. जो कभी घर लौट कर न आए. लेकिन इस जंग के 4 वीर सपूतों को सर्वोच्च सैनिक सम्मान 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया. आइए जानते हैं उनके बारे में.

author-image
Yogendra Mishra
एडिट
New Update
कारगिल के इन 'परमवीरों' का साहस जानकर आपका सीना चौड़ा हो जाएगा

परमवीर चक्र विजेता।

आज यानी 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस के 20 साल पूरे हो गए हैं. इस खास मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई बड़ी हस्तियों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी है. राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट करते हुए कहा, 'करगिल विजय दिवस हमारे राष्ट्र के लिए 1999 में करगिल की चोटियों पर अपने सशस्त्र बलों की वीरता को याद करने का दिन है.

Advertisment

इस मौके पर हम भारत की रक्षा करने वाले योद्धाओं के धैर्य और शौर्य को नमन करते हैं. हम सभी शहीदों के प्रति आजीवन ऋणी रहेंगे.' आज एक ऐसा मौका है जब आपको उन हीरो को याद करना चाहिए जिन्होंने मां भारती के लिए अपने प्राण लुटाए. जो कभी घर लौट कर न आए. लेकिन इस जंग के 4 वीर सपूतों को सर्वोच्च सैनिक सम्मान 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया. आइए जानते हैं उनके बारे में.

कैप्टन विक्रम बत्रा


ऑपरेशन विजय के दौरान 13 जम्मू कश्मीर राइफल्स के कैप्टन विक्रम बत्रा को प्वाइंट 5140 पर कब्जा करने का काम सौंपा गया. दस्ते का नेतृत्व करते हुए उन्होंने निडरतापूर्वक आमने सामने की लड़ाई चार दुश्मनों को मार गिराया. 07 जुलाई 1999 को उनकी कंपनी को प्वाइंट 4875 पर कब्जा करने का कार्य सौंपा गया. यहां भी उन्होंने पांच पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया.

यह भी पढ़ें- Kargil Vijay Diwas: जब कारगिल युद्ध के दौरान सैनिकों के बीच पहुंचे थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शेयर की ये खास तस्वीरें

जख्मी होने के बावजूद भी उन्होंने जवाबी कार्रवाई में अपने सैनिकों का नेतृत्व किया. वीरगति को प्राप्त होने से पहले उन्होंने सैन्य दृष्टि से असंभव कार्य किया है. उनके इस कार्य से प्रेरित होकर उनके जवानों ने शत्रु का सफाया करते हुए प्वाइंट 4875 पर कब्जा कर लिया. उत्कृष्ट वीरता, प्रेरणादायक नेतृत्व, अदम्य साहस तथा सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय

ऑपरेशन विजय के दौरान 11 गोरखा राइफल्स की पहली बटालियन के लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय को जम्मू-कश्मीर के बटालिक में खालूबार रिज को दुश्मनों से खाली कराने का कार्य सौंपा गया. 3 जुलाई 1999 को उनकी कंपनी जैसे ही आगे बढ़ी दुश्मनों ने उन पर भारी गोलीबारी शुरू कर दी.

यह भी पढ़ें- महज 22 साल की उम्र में पाकिस्तान की बखिया उधेड़ शहीद हो गए कैप्टन विजयंत थापर, पढ़ें उनकी आखिरी चिट्ठी

उन्होंने निडरतापूर्वक दुश्मनों पर आक्रमण किया और चार दुश्मनों को मार गिराया और दो बंकर तबाह कर दिया. कंधे और पैरों में जख्म होने के बावजूद वे पहले बंकर के निकट पहुंचे और भीषण मुठभेड़ में दो अन्य सैनिकों को मार कर बंकर खाली करा दिया. सिर में गहरी चोट होने के बावजूद भी वह देश के लिए लड़ते रहे और अपनी पलटन का नेतृत्व करते रहे.

उनके अदम्य साहस को देखते हुए बाकी के सैनिकों ने भी हमला जारी रखा और अंततः पोस्ट पर कब्जा जमा लिया. अत्यंत शौर्यपूर्ण कारनामे और सर्वोच्च बलिदान का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव


ऑपरेशन विजय के दौरान 18वीं ग्रेनेडियर के ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव घातक प्लाटून के सदस्य थे. जिन्हें जम्मू कश्मीर के द्रास सेक्टर में टाइगर हिल टॉप पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 03 जुलाई 1999 को दुश्मनों की भारी गोलाबारी के बीच अपनी टीम के साथ उन्होंने बर्फीली खड़ी चट्टान पर चढ़ाई चढ़ना शुरु किया.

यह भी पढ़ें- अलीगढ़ में सड़कों पर नहीं पढ़ सकेंगे नमाज, जुम्मे के दिन ही लगी रोक

जिसमें वह कामयाब भी रहे. पेट के निचले हिस्से और कंधे में तीन गोलियां लगने के बावजूद उन्होंने अतुल्यनीय ताकत का प्रदर्शन किया. उन्होंने एक के बाद एक बंकर को ध्वस्त करते हुए तीन पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला. उनके शौर्यपूर्ण कारनामे से प्रेरित होकर प्लाटून को नया साहस मिला.

जिसके बाद उसने अन्य ठिकानों पर हमला कर दिया और अंततः टाइगर हिल टॉप पर वापस कब्जा जमा लिया. अदम्य साहस और सर्वोच्च कोटि के शौर्य का प्रदर्शन करने के लिए योगेंद्र सिंह यादव को परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया.

रैइफलमैन संजय कुमार


ऑपरेशन विजय के दौरान राइफलमैन संजय कुमार 13 जम्मू कश्मीर राइफल्स की एक कंपनी के लीडिंग स्काउट में शामिल थे. जिन्होंने 4 जुलाई 1999 को जम्मू कश्मीर की मश्कोह घाटी में फ्लैट टॉप क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए भेजा गया था. चोटी पर पहुंचने के बाद वह शत्रु सेना के एक बंकर से की जा रही जबरदस्त गोलीबारी की चपेट में आ गए.

यह भी पढ़ें- Kargil Vijay Diwas: पाकिस्तानी पत्रकार ने इस तरह किया था 'साजिश' का खुलासा

आमने-सामने की लड़ाई में उन्होंने तीन घुसपैठियों को मार गिराया और स्वयं भी गंभीर रूप से घायल हो गए. इस कार्रवाई से दुश्मन के सैनिक बिल्कुल अचंभित रह गए और अपने हथियारों को वहीं छोड़ कर भागने लगे. राइफलमैन संजय कुमार ने दुश्मनों का हथियार उठाया और उन्हें भागने के दौरान मार गिराया.

उनकी इस साहसपूर्ण कार्रवाई से साथियों को प्रेरणा मिली और उन्होंने दुश्मनों पर धावा बोलकर अंततः फ्लैट टॉप क्षेत्र पर कब्जा कर लिया. उच्च कोटि की वीरता और अदम्य साहस के लिए राइफलमैन संजय कुमार को परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया.

Source : Yogendra Mishra

yogendra yadav Manoj kumar pandey sanjay kumar who got param vir chakra vikram batra param vir chakra winner
      
Advertisment