Kanwar Yatra Controversey: कौन हैं स्वामी यशवीर महाराज, एक बार फिर से आए चर्चा में

Kanwar Yatra Controversey: स्वामी यशवीर की अगुवाई में करीब 5,000 लोगों की टीम बनाई गई है, जो मुजफ्फरनगर और अन्य कांवड़ रूट पर ढाबों और होटलों की जांच कर रही है.

Kanwar Yatra Controversey: स्वामी यशवीर की अगुवाई में करीब 5,000 लोगों की टीम बनाई गई है, जो मुजफ्फरनगर और अन्य कांवड़ रूट पर ढाबों और होटलों की जांच कर रही है.

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Yashodhan.Sharma
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UP News: उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा का शुभारंभ होते ही एक बार फिर स्वामी यशवीर महाराज चर्चा में आ गए हैं. स्वामी यशवीर पिछले दो वर्षों से कांवड़ यात्रा के दौरान अपनी गतिविधियों और बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं. इस बार भी उन्होंने कांवड़ मार्ग पर दुकानों और होटलों की पहचान को लेकर एक बड़ा अभियान शुरू किया है.

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बचपन में ही छोड़ दिया था घर

स्वामी यशवीर महाराज मूलतः उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के बघरा गांव के रहने वाले हैं. यहां वे ‘योग साधना आश्रम’ चलाते हैं, जिसकी स्थापना 2015 में हुई थी. इस आश्रम में 'महंत अवैद्यनाथ भवन' भी है, जिसका शिलान्यास खुद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था. स्वामी यशवीर के अनुसार, उन्होंने बचपन में ही अपना घर छोड़ दिया था और अब वे पूर्ण रूप से सन्यासी जीवन जीते हैं.

धार्मिक पहचान को लेकर छेड़ा था अभियान

बीते वर्षों में स्वामी यशवीर ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले ढाबों और होटलों के मालिकों की धार्मिक पहचान को लेकर अभियान छेड़ा था. उन्होंने आरोप लगाया था कि कई मुस्लिम व्यापारी, हिंदू देवी-देवताओं के नाम से ढाबे चला रहे हैं और अपनी पहचान छिपाकर कांवड़ यात्रियों को भोजन परोसते हैं. उनका दावा है कि इससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं और श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ होता है.

करीब 5 हजार लोगों की बनाई टीम

इस साल भी स्वामी यशवीर की अगुवाई में करीब 5,000 लोगों की टीम बनाई गई है, जो मुजफ्फरनगर और अन्य कांवड़ रूट पर ढाबों और होटलों की जांच कर रही है. इस टीम का आरोप है कि कुछ मुस्लिम कर्मचारी हिंदू नामों से काम कर रहे हैं, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है.

इसलिए छेड़ी है मुहिम

हाल ही में जब स्वामी यशवीर अपनी टीम के साथ उत्तराखंड की सीमा पर स्थित नारसन बॉर्डर पहुंचे, तो उत्तराखंड पुलिस ने उन्हें रोक दिया. इस पर उन्होंने वहीं धरना दे दिया. स्वामी यशवीर का कहना है कि उनकी मुहिम कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा और धार्मिक पवित्रता बनाए रखने के लिए है. हालांकि, उनके बयानों और गतिविधियों को लेकर पहले भी विवाद हो चुका है.

2015 में उन्हें धार्मिक भावनाएं भड़काने और समाज में वैमनस्य फैलाने के आरोप में जेल भी जाना पड़ा था. बावजूद इसके, स्वामी यशवीर लगातार अपने अभियान को जारी रखे हुए हैं और एक बार फिर कांवड़ यात्रा के दौरान उनके नाम की गूंज तेज हो गई है.

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