राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह फिर से बीजेपी की सदस्यता लेंगे और राजनीति में पूरी तौर से सक्रिय हो जाएंगे. कल्याण सिंह के आते ही यूपी में 13 सीटों में उपचुनाव होने हैं और उन पर कल्याण का कितना कमाल होगा, यह देखना होगा. अभी हाल में तो कल्याण सिंह ने बीजेपी की सदस्यता इसलिए छोड़ी थी क्यों कि वह राजस्थान के राज्यपाल बना दिए गए थे. राज्यपाल संविधानिक पद है और उस पर बैठने वाला व्यकित किसी भी दल का सदस्य नहीं होना चाहिए. ऐसे में कल्याण सिंह बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता छोड़नी पड़ी थी. इसके पहले जब वह बीजेपी हाईकमान से नाराज हुए थे तो उन्होंने बीजेपी छोड़कर भारतीय क्रांति मोर्चा बनाया था और उसके बाद राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया था. पार्टी कार्यकर्ता मानते हैं कि कल्याण की वापसी से पार्टी और मजबूत होगी.
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प्रदेश अध्यक्ष के पद रहते हुए कल्याण सिंह ने उस दौर में बीजेपी को इतना मजबूत किया था कि भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई थी. उस समय हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सांसदों की संख्या तीन से बढ़कर 51 हो गई थी. कल्याण सिंह के बारे में यह कहा जाता है कि वह संघर्ष करने और वोट निकलवाने में एक सफल नेता साबित हुए हैं. यही कारण है कि दो बार पार्टी छोड़ने के बाद भी उन्हें संगठन अपना लेता है. लेकिन अब नए युग की राजनीति में कल्याण सिंह कितना असर दिखाएंगे, इस समझने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. लेकिन विपक्षी दल इसे महज एक औपचारिकता ही कह रहे हैं.
दरअसल कल्याण सिंह भाजपा के हिन्दू चेहरे के रूप में बड़ी पहचान रखते हैं. राम मंदिर आंदोलन में कल्याण की भूमिका अहम मानी जाती रही है. यही कारण है कि कल्याण सिंह जब यूपी के सीएम थे और 6 दिसम्बर 1992 को रामभक्तों ने विवादित स्थल को ध्वस्त करना शुरू किया तो कल्याण ने पूरी घटना की जिम्मेदारी खुद ले ली थी और सरकार से इस्तीफा भी दे दिया था. उन्होंने उस वक्त सीएम पद का लालच नहीं किया था. कल्याण सिंह पिछड़ों के नेता के रूप में भी अपनी पहचान रखते हैं. यही कारण है कि कल्याण सिंह के नेतृत्व में हमेशा पिछड़ों को हक दिलाने की बात जोरदारी से कही जाती रही है. ऐसे में उपचुनाव में भी बीजेपी के लिए फायदे मंद साबित हो सकते हैं.
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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव भी पिछड़े वर्ग से आते हैं. संगठन और चुनावी मैनेजमेंट में स्वतंत्र को महारत हासिल. यही वजह है कि उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. अब ऐसे में कल्याण सिंह की वापसी का कितना इंपैक्ट बीजेपी संगठन पर होगा, यह कहना थोड़ा मुश्किल है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो