उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक एक गर्भवती महिला का डॉक्टरों ने इलाज करने से इसलिए कथित तौर पर इनकार कर दिया क्योंकि उसके पास 'आधार कार्ड' और 'बैंक खाते' नहीं थे।
गर्भवती महिला के पति के दावों के मुताबिक, वह जब शाहगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए गये तो डॉक्टर ने आधार और बैंक अकाउंट की मांग की।नहीं होने की वजह से डॉक्टर ने भर्ती नहीं लिया।
मजबूरन महिला को अस्पताल के गेट के बाहर डिलिवरी के लिए बाध्य होना पड़ा। नवजात बच्चा करीब एक घंटे तक वहीं जमीन पर पड़ा रहा।
महिला के पति ने कहा, 'जब हम हॉस्पिटल पहुंचे तो स्टाफ ने कुछ दस्तावेजों की मांग की, जिसके ना होने पर भर्ती करने से इनकार कर दिया गया। जैसे ही हम बाहर निकल रहे थे, तभी मेरी पत्नी ने गेट के बाहर ही बच्चे को जन्म दे दिया।'
वहीं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने सफाई दी है। उन्होंने कहा, 'डॉक्टर ने महिला को जिला अस्पताल रेफर किया। रेफर करते समय उसने बताया कि उसे कोई परिचित वहां पर ले जाएगा। गेट पर पहुंचने पर उसे दर्द महसूस हुआ। उसे फौरन अंदर ले आया गया और उसने बच्चे को जन्म दिया। दोनों ही अब सुरक्षित हैं।'
आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब 'आधार' नहीं होने की वजह से जरूरी सुविधाओं से वंचित होना पड़ा हो।
पिछले साल सितंबर में झारखंड के सिमडेगा जिले के एक गांव में कथित तौर पर भूख के कारण एक बच्ची की मौत हो गई थी।
परिवार वालों के दावों के मुताबिक, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत दुकानदार ने खाद्य अनाज नहीं दिया क्योंकि उसका आधार कार्ड, राशन कार्ड से जुड़ा हुआ नहीं था।
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Source : News Nation Bureau