UP के आदिवासियों को मास्क खरीदने के लिए नहीं थे पैसे, कोरोना को हराने के लिए कर दिया ये नया अविष्कार

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए चिकित्सक सलाह दे रहे हैं कि एक अंतराल के बाद हाथ धोते रहिए, दूसरों के संपर्क में नहीं आइए और मास्क का उपयोग करिए.

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए चिकित्सक सलाह दे रहे हैं कि एक अंतराल के बाद हाथ धोते रहिए, दूसरों के संपर्क में नहीं आइए और मास्क का उपयोग करिए.

author-image
Sushil Kumar
New Update
प्रतीकात्मक फोटो

प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

कहा जाता है, आवश्यकता आविष्कार की जननी है. ऐसा ही कुछ कोरोना वायरस महामारी के चलते आदिवासियों के गांव में देखने को मिल रहा है. बुंदेलखंड के कई गांव ऐसे हैं जहां के आदिवासी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और उनके पास मास्क खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं लिहाजा उन्होंने महुआ के पत्तों से ही मास्क बना लिया है, वे खुद तो इन मास्क का उपयोग कर ही रहे हैं साथ ही गांव के लोगों को बांट भी रहे हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए चिकित्सक सलाह दे रहे हैं कि एक अंतराल के बाद हाथ धोते रहिए, दूसरों के संपर्क में नहीं आइए और मास्क का उपयोग करिए.

Advertisment

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन: घरों में 'रामायण', सड़क पर 'रोटी' का महाभारत! भूख से बिलबिला रहे हैं लोग 

पैसे नहीं थे कर दिया अलग अविष्कार

चिकित्सकों की सलाह पर सक्षम लोग तो मास्क खरीद रहे हैं मगर बुंदेलखंड का बड़ा इलाका ऐसा है जहां लोगों के पास दो वक्त की रोटी तक का संकट है. ऐसे लोगों ने मास्क महुआ के पत्तों से बना डाले हैं और अपने चेहरे पर लगाए हुए हैं. यह चिकित्सकीय तौर पर कितना सही है यह तो नहीं कहा जा सकता मगर आदिवासी इलाकों के लोग अपने बचाव के रास्ते खोज रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कर रहे हैं. पन्ना जिले के आदिवासियों के कई गांव से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें वे महुआ के पत्तों से मास्क बना रहे हैं और उन्हें वितरित कर चेहरे पर लगाने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- सोशल मीडिया पर छाए 'रामायण' पर बने मीम्स, Trending रहीं कैकेयी और मंथरा

पत्तों से बनाया गया मास्क सभी लोग लगा रहे हैं

पन्ना जिले की जरधोबा ग्राम पंचायत के कोटा गुंजापुर गांव में बड़ी संख्या में लोग महुआ के पत्ता से बने मास्क लगाए नजर आ जाते हैं. किसान डब्बू गौड़ का कहना है, "बीमारी के चलते हर कोई मास्क लगाने की सलाह दे रहा है. हमारे पास पैसे तो है नहीं इसलिए हम लोगों ने महुआ के पत्तों से मास्क बना लिया है और वही बांध रहे हैं. प्रहलाद गौड़ का कहना है, "सभी लोग बता रहे हैं कि यह वायरस मुंह, आंख और नाक से जाने के साथ एक दूसरे को छूने से पहुंचता है इसलिए हम लोग एक दूसरे से दूरी बनाकर तो चल ही रहे हैं साथ में पत्तों से बनाया गया मास्क भी लगा रहे हैं. बाजार से मास्क खरीदने का पैसा तो है नहीं."

सामाजिक कार्यकर्ता यूसुफ बेग का कहना है, "बुंदेलखंड और आदिवासी इलाके में कहा जाता है कि महुआ का पत्ता सांस के लिए लाभदायक होता है, इस पत्ते से होकर कोई भी विषाणु शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता. इसीलिए यहां के लोग महुआ के पत्ते से बने मास्क लगा रहे हैं. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देषों के पालन को आदिवासियों के गांव में जाकर देखा जा सकता है."बुंदेलखंड के पत्रकार नदीम उल्लाह खान का कहना है, "बुंदेलखंड क्षेत्र को गरीबी के लिए पहचाना जाता है. यहां लोगों के पास आसानी से कपड़े पहनने और खाने का भी इंतजाम नहीं होता मगर जागरूकता है. यही कारण है कि यहां के आदिवासियों ने आर्थिक संकट के चलते बाजार से मास्क नहीं खरीदा मगर अपने स्तर पर बचाव का प्रयास जरूर किया है."

corona Yogi Adityanath Tribes corona-virus Bundelkhand Mask
      
Advertisment