मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज्य में उन्हीं के गृह जनपद गोरखपुर में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पार्षद रामभुआल कुशवाहा का अवैध कब्जा ढहा दिया गया है. हलांकि इस कार्रवाई का किसी ने विरोध नहीं किया. अधिकारियों ने बताया कि कान्हा उपवन के निर्माण के समय अफसरों को गलत जानकारी देकर इसमें अवैध निर्माण करा लिया गया था. उस दौरान बताया गया था कि नगर-निगम की जमींन वहीं तक ही है. उस दौरान अफसरों ने भी इसकी पड़ताल नहीं की और पार्षद ने जिस तरह बताया उसी तरह चाहरदीवारी तैयार कर दी गई.
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अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार सिंह ने बताया, 'कान्हा उपवन की जमीन के एक हिस्से का कब्जा ध्वस्त कर दिया गया है. पैमाइश के दौरान करीब एक एकड़ जमीन पर कब्जा पाया गया था. इनमें करीब 47 डिसिमल जमीन पर भी कुछ छोटे-छोटे निर्माण कराए गए थे, जिन्हें ध्वस्त करा दिया गया है. राजस्व और नगर-निगम के दस्तावेज में यह जमीन सरकारी संपत्ति के रूप में दर्ज है.' वहीं आयुक्त जयंत नर्लिकर का कहना है, 'खाली कराई गई जमीन पर कान्हा उपवन को और विस्तार रूप दिया जाएगा. एक एकड़ जमीन बढ़ जाने से गौवंशों को विचरण करने में आसानी होगी. सरकारी जमीन पर एक इंच कब्जा नहीं करने दिया जाएगा. इस पर कब्जा करने वालों पर प्रशासन सख्ती से निपटेगा और एंटी-भूमफिया एक्त के तहत कार्रवाई भी करेगा.'
उधर, पार्षद रामभुआल कुशवाहा ने बताया कि अभी इस बारे में कुछ कहना ठीक नहीं है. क्योंकि मामला कोर्ट में है. मैं नगर-निगम के खिलाफ कोर्ट में अवमानना का मामला दखिल करूंगा. ज्ञात हो कि कान्हा उपवन के पास नगर-निगम की जमीन पर कब्जा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जताई थी. उन्होंने तत्काल कार्रवाई कर जमीन छुड़वाने के निर्देश दिए थे. उन्होंने चेतावनी भी दी थी इस कार्रवाई में कोई टांग अड़ाएगा या कुछ विवाद हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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गौरतलब हो कि कान्हा उपवन की तकरीबन दो एकड़ जमीन पर कब्जा है. आरोप है कि एक एकड़ जमीन पर महेवा वार्ड के पार्षद रामभुआल कुशवाहा का कब्जा है. महेवा वार्ड में ही कान्हा उपवन आता है. कुछ दिनों पहले नगर निगम कार्यकारिणी के उपसभापति व कान्हा उपवन की व्यवस्था सुधारने के लिए गठित समिति के चेयरमैन भाजपा पार्षद बृजेश सिंह छोटू ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर कान्हा उपवन की जमीन पर हुए कब्जे को ढहाने की मांग की थी. इसकी जानकारी नगर निगम आयुक्त जयंत नार्लिकर को भी दी गई थी. उनके निर्देश पर कान्हा उपवन की जमीन की नाप ली गई थी. कब्जे की बात अफसरों ने भी स्वीकार की थी.
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