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'कोरोना मरीजों की पहचान धार्मिक आधार पर करने से बढ़ सकती हैं लिंचिंग की घटनाएं'

मुस्लिम स्कॉलर व समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कोरोना के मरीजों की पहचान धर्म के आधार पर किए जाने को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना की है.

Updated on: 13 Apr 2020, 05:24 PM

लखनऊ:

Coronavirus (Covid-19): आधिकारिक एजेंसियों द्वारा कोरोना के मरीजों की पहचान धर्म के आधार पर किए जाने के कारण उत्तर प्रदेश के मुसलमान चिंतित हैं. उन्होंने डर है कि कोरोना के रोगियों की धार्मिक पहचान से लॉकडाउन खत्म होने के बाद लिंचिंग (हिंसक भीड़ द्वारा पिटाई) जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं. मुस्लिम स्कॉलर व समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कोरोना के मरीजों की पहचान धर्म के आधार पर किए जाने को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना की है. गांधी ने आईएएनएस से कहा, डब्ल्यूएचओ और केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कोरोना रोगियों की पहचान नहीं बताई जानी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार रोगियों की सांप्रदायिक तौर पर पहचान करने में खासा रुचि रख रही है.

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महामारी को एक विशेष धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए 

उन्होंने कहा कि कोरोनोवायरस (Coronavirus Covid-19, Corona Virus In India, Corona In India, Covid-19) का संबंध धर्म विशेष से नहीं है और इस महामारी को एक विशेष धर्म से जोड़ने के लिए किए जा रहे प्रयास तुरंत बंद होने चाहिए. उन्होंने कहा कि इस बात की प्रबल संभावना है कि लॉकडाउन हटाए जाने के बाद मुस्लिमों पर निशाना साधा जाएगा. उन्होंने कहा, यह ठीक वैसा ही है जैसा कि गोहत्या के मुद्दे पर होता है. एक छोटी सी अफवाह भी देश भर में लोगों को लिंचिंग जैसी घटनाओं के लिए प्रेरित करती है. कोरोना एक महामारी है और हमें इससे उसी तरह से निपटना चाहिए. हमें सांप्रदायिक बनाने के बजाय एक साथ मिलकर वायरस से लड़ना चाहिए. 

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दिग्गज कांग्रेसी नेता अमीर हैदर ने आशंका व्यक्त की

गांधी ने कहा, हर दिन सरकार के प्रवक्ता कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या बताते हैं और फिर यह बताते हैं कि इनमें से कितने लोग तबलीगी जमात से हैं. सामाजिक कार्यकर्ता और एक दिग्गज कांग्रेसी नेता अमीर हैदर ने भी इसी तरह की आशंका व्यक्त की. उन्होंने कहा, हम प्रोटोकॉल की अनदेखी करने और कार्यक्रम आयोजित करने के लिए तबलीगी जमात की कड़ी निंदा करते हैं, लेकिन राज्य सरकार बार-बार धार्मिक आधार पर बातें क्यों कर रही है. शिया और सुन्नी मौलवी बार-बार लोगों से सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करने और सुरक्षात्मक प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कह रहे हैं. 

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मुस्लिम कर्मचारियों से होम डिलीवरी लेने पर आपत्ति

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन हटने के बाद कोरोना के मुद्दे पर सांप्रदायिक वर्गीकरण करने का खतरनाक असर देखने को मिल सकता है. एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने कहा कि लोग पहले ही मुस्लिम कर्मचारियों से होम डिलीवरी लेने पर आपत्ति जताने लगे हैं. उन्होंने कहा, मेरे पड़ोसियों ने एक मुस्लिम लड़के से किराने का सामान लेने से इनकार कर दिया. यह सिर्फ कहानी की शुरुआत है, जिसे दिमागों में डाला जा रहा है. किसी भी खतरानक स्थिति के पैदा होने से पहले ही हमें इसका संज्ञान लेना चाहिए.