'मुझे आज भी याद है वो मुनादी, जब कहा गया धर्म बदल लो या पाकिस्तान छोड़ दो'

19 साल का एक युवा जब स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में कूदा तो उसे ये नहीं पता था कि मात्र पांच साल के बाद ही उसे विभाजन की विभीषिका झेलनी पड़ेगी.

19 साल का एक युवा जब स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में कूदा तो उसे ये नहीं पता था कि मात्र पांच साल के बाद ही उसे विभाजन की विभीषिका झेलनी पड़ेगी.

author-image
Iftekhar Ahmed
New Update
Tilak Raj Kapur

'मुझे आज भी याद है वो मुनादी, जब कहा गया धर्म बदलो या पाकिस्तान छोड़ दो( Photo Credit : File Photo)

19 साल का एक युवा जब स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में कूदा तो उसे ये नहीं पता था कि मात्र पांच साल के बाद ही उसे विभाजन की विभीषिका झेलनी पड़ेगी. 1942 में सरकारी भवनों पर भारत छोड़ो आंदोलन का नारा लिखते हुए पकड़े गए और अंग्रेज अफसरों ने थाने में 11 कोड़ों की सज़ा दी, मगर भारत पाकिस्तान के बंटवारे में अपना धर्म और जीवन बचाने के लिए युवा तिलक राज कपूर को अपनी जमीन-जायदाद और व्यापार छोड़ कर पाकिस्तान से भारत आना पड़ा. आज 94 साल के तिलक राज कपूर का पूरा परिवार वाराणसी में रह रहा है. विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राष्ट्रपति पदक प्राप्त तिलक राज कपूर ने बंटवारे का दर्द अपनी जुबानी बयां किया है.

Advertisment

कट्टरपंथी खुलेआम मुनादी करा रहे थे
तिलक राज कपूर ने 1947 में हुए बंटवारे के मंजर को याद करते हुए बताया कि विभाजन से एक साल पहले ही अराजकता की भूमिका तैयार होने लगी थी. पाकिस्तान में रह रहे हिन्दू और सिख अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाने लगा था. हम पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मंडी बहाउद्दीन क़स्बे में रहते थे. मुझे याद है कि 13 अगस्त 1947 की भोर में कट्टरपंथी मुनादी कर रहे थे कि अगर पाकिस्तान में रहना है तो धर्म बदल लो या फिर देश छोड़ दो. इसके अलावा अल्पसंख्यकों के घरों पर हमले भी हो रहे थे.

मंदिरों और गुरुद्वारों में ली शरण
तिलक राज कपूर के अनुसार वे लोग परिवार समेत घर छोड़ कर मंदिरों और गुरुद्वारों में शरण लिए हुए थे. कट्टरपंथियों का एक जत्था उनके जानवर खोल ले जाता, दूसरा जत्था घर से कीमती सामान लूट ले जाता था. एक जत्था घरों में आग लगता था और अल्पसंख्यकों को ख़ोज-ख़ोज कर गोली मारकर मौत के घाट उतार देता था. उन्होंने बताया कि ये सब पूर्वनियोजित था, कट्टरपंथियों को पहले ही बता दिया गया था कि अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान में नहीं रहने देना है.

महिलाओं को बनाना शुरू किया निशाना
तिलक राज कपूर अपनी कड़कती आवाज में आप बीती बताते हुए कहते हैं कि कट्टरपंथी ढोल बजाते हुए हमला करने आते थे. हम लोगों में से कुछ के पास बंदूकें थीं, जो उनसे थोड़ा बहुत मुकाबला कर पाने में नाकाफी थे. तिलक राज कपूर कहते हैं कि कट्टरपंथियों ने जब हमारी महिलाओं को निशाना बनाना शुरू किया तो धर्म और इज्जत बचाने के लिए उनमें से ज्यादातर ने मौत को गले लगाना उचित समझा. हमारे साथ की कई महिलाओं ने गुरुद्वारों की छतों से कूद कर अपनी जान दे दी. तिलकराज को आज भले ही कम दिखता हो, लेकिन 1947 का नज़ारा उनको साफ़-साफ़ नज़र आता है.

छूट गया अपना घर, काशी में किया लंबा संघर्ष
उन्होंने बताया कि 14 अगस्त 1947 को करोड़ों की सम्पत्ति, पूर्वजों का घर, अपनी मिट्टी, कपास, घी समेत अन्य व्यवसाय सब कुछ छोड़ कर हम तीन जोड़ी कपड़े लेकर पिता, दो बहनों, दो भाइयों के साथ शरणार्थी कैंप में आ गए. करीब डेढ़ महीने कैंप में रहने के बाद हम ट्रेन से अटारी बॉर्डर पहुंचे और भारत आ गए. अक्टूबर 1947 में हमारा परिवार काशी पहुंचा. वाराणसी आने के बाद कई जगह किराए के मकानों में रहते हुए हमने 1950 में बनारसी लंगड़े आम का बगीचा लगाकर क़ारोबार शुरू किया और आज बेटों के साथ मिलकर हमारा परिवार फलों का बड़ा कारोबार करता है. वाराणसी के परेड कोठी क्षेत्र में 1960 में हमने मकान बनवाया. 1967 में मैं सिविल डिफेन्स से जुड़ा और 1980 में मुझे राष्ट्पति पदक से सम्मनित किया गया.

पहली बार किसी सरकार ने हमारे दर्द को बांटा है
तिलक राजकपूर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देते हुए कहा कि आज़ादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि विभाजन की विभीषिका का दंश झेले हुए लोगों के दर्द को सरकार ने बांटने का प्रयास किया है. विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने से देश की नई पीढ़ी को हमारे संघर्षों के बारे में जानकारी मिलेगी.

HIGHLIGHTS

  •  विभाजन की विभीषिका झेल चुके 94 वर्षीय तिलक राज कपूर ने बयां किया दर्द
  • 1947 से साल भर पहले ही पाकिस्तान में बनने लगी थी विभाजन की भूमिका
  • धर्म व आबरू बचाने को महिलाओं ने मंदिरों व गुरुद्वारों की छतों से लगा दी छलांग

Source : Alok Pandey

vibhajan diwas vibhajan vibhishika bharat ka vibhajan vibhajan vibhishika smriti diwas vibhajan vibhishika smarti diwas vibhajan vibhishika smriti divas
      
Advertisment