अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की 17 जातियों को अनुसूचित जाति (एससी) में शामिल करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. प्रदेश सरकार के इस निर्णय को लेकर एक वकील ने हाईकोर्ट में एक अर्जी लगाई है. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पंकज भाटिया की खंडपीठ आज इस मामले पर सुनवाई करेगी.
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सरकार के निर्णय पर सुनवाई करने के लिए वकील ने चीफ जस्टिस की बेंच के समक्ष उपस्थित होकर सुनवाई की मांग की है. वकील राकेश गुप्ता का कहना है कि योगी सरकार का यह निर्णय गलत व असंवैधानिक है. वकील ने कोर्ट को बताया कि इस सम्बंध में याचिका पहले से ही लम्बित है, इसलिए इस याचिका पर जरूरी सुनवाई होनी है. वहीं इस याचिका को लेकर चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने वकील से कहा था कि लंबित याचिका कोर्ट में लगी नहीं है. इस कारण वह रजिस्ट्रार लिस्टिंग से मुकदमा लगाने का अनुरोध करें. चीफ जस्टिस ने कहा था कि मुकदमा जिस दिन लगेगा उस दिन कोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर अपना फैसला देगी.
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बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक मास्टर स्ट्रोक चलते हुए 17 पिछड़ी जातियों (ओबीसी) को अनुसूचित जाति (एससी) में शामिल करने का आदेश जारी किया है. अधिकारियों को इन 17 जातियों के परिवारों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए निर्देशित किया गया. इस सूची में जिन जातियों को शामिल किया गया है वे हैं- निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआ, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुहा और गौड़, जो पहले अन्य पिछड़ी जातियां (ओबीसी) वर्ग का हिस्सा थे.
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