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स्वास्थ्य विभाग ने ग्राम प्रधानों को वैक्सीन की झिझक दूर करने को कहा

उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के प्रशासन को नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों को शामिल करने के लिए कहा गया है जिससे ग्रामीण आबादी को टीकाकरण के महत्व के बारे में समझाया जा सके और टीकाकरण की हिचकिचाहट को दूर करने में उनकी मदद की जा सके.

Updated on: 02 Jun 2021, 11:57 PM

highlights

  • उत्तर प्रदेश के ग्राम प्रधानों को वैक्सीन की झिझक दूर करने को कहा
  • 75 जिलों के प्रशासन को ग्राम प्रधानों को शामिल करने के लिए कहा गया है
  • अधिकारियों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण बेहद सुस्त है

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के प्रशासन को नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों को शामिल करने के लिए कहा गया है जिससे ग्रामीण आबादी को टीकाकरण के महत्व के बारे में समझाया जा सके और टीकाकरण की हिचकिचाहट को दूर करने में उनकी मदद की जा सके. गांव के प्रधानों से भी लोगों के बीच वैक्सीन के बारे में गलत जानकारी दूर करने के लिए कहा जा रहा है. गांवों में टीकाकरण की हिचकिचाहट राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रही है और कई विभागों को विशेष रूप से गांवों में टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए जुटाया गया है.

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स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण बेहद सुस्त है, यह कहते हुए कि लोग टीकाकरण से इनकार कर रहे हैं. बाराबंकी में, लोगों के एक समूह ने एक नदी में छलांग लगा दी, जब उन्होंने एक टीकाकरण दल को आते देखा. एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, "हम जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों और जिलाधिकारियों से ग्राम प्रधानों की मदद लेने और लोगों को टीका लेने के लिए मनाने के लिए कह रहे हैं. हम चाहते हैं कि टीकाकरण अभियान तीसरी लहर शुरू होने से पहले अधिकतम आबादी को कवर करे."

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प्रशासन उन लोगों से भी कह रहा है जिन्होंने टीका की पहली खुराक ली है जिससे वे दूसरों को टीका लगवाने के लिए मना सकें. गांव के लोग टीका लगवाने से सावधान रहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि टीका लगने के 10 दिन बाद तक इम्युनिटी जीरो हो जाती है और यह अवधि उन्हें कोविड के चपेट में ले लेती है. उन्हें वैक्सीन के बाद बुखार होने का भी डर सता रहा है.

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