UP: रिश्वतखोरी के आरोप में निलंबित चल रहा था लेखपाल, तहसील में खा लिया जहर, सीएम योगी ने दिए जांच के आदेश

Hapur News: उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक लेखपाल ने जहर खा लिया. बताया जा रहा है कि रिश्वतखोरी के आरोप में उसे निलंबित कर दिया गया. फिलहाल, इस मामले पर सीएम योगी ने जांच के आदेश दिए हैं.

Hapur News: उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक लेखपाल ने जहर खा लिया. बताया जा रहा है कि रिश्वतखोरी के आरोप में उसे निलंबित कर दिया गया. फिलहाल, इस मामले पर सीएम योगी ने जांच के आदेश दिए हैं.

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Yashodhan.Sharma
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Lekhpal consumed poison

representational image Photograph: (social)

Hapur News: उत्तर प्रदेश के हापुड़ में उस वक्त सनसनी फैल गई जब यहां एक लेखपाल ने बुधवार को तहसील परिसर में जहर खा लिया. बताया जा रहा है कि लेखपाल के ऊपर रिश्वतखोरी का आरोप है और वह निलंबित चल रहा है. पूरा मामला धौलाना तहसील परिसर का है जहां कथित तौर पर उन्होंने जहरीला पदार्थ निगल लिया. पीड़ित लेखपाल की पहचान सुभाष मीणा के रूप में हुई है.

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सीएम योगी ने दिए जांच के आदेश

धौलाना के उप जिलाधिकारी शुभम श्रीवास्तव ने बताया कि सुभाष मीणा को 3 जून को ग्रामीणों की शिकायत के बाद निलंबित किया गया था. ग्रामीणों का आरोप था कि मीणा भूमि अभिलेखों से जुड़े कार्यों के लिए रिश्वत मांग रहे थे. इसके बाद 7 जुलाई को उनके खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल किया गया था. बुधवार को तहसील परिसर में मीणा ने कथित रूप से जहरीला पदार्थ खा लिया, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया.

फिलहाल, उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है. इस घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ मंडलायुक्त और पुलिस महानिरीक्षक को उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं. फिलहाल, इस घटना के बाद लेखपालों में रोष फैल गया. बड़ी संख्या में लेखपालों ने अस्पताल पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की.

गाजीपुर में 10 लेखपाल निलंबित

इसी बीच, गाजीपुर जिले में भी लेखपालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है. जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने फर्जी आय प्रमाण पत्र जारी करने में संलिप्तता पाए जाने पर 10 लेखपालों को निलंबित कर दिया है. बताया गया कि कुछ लेखपालों ने गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले लोगों को बीपीएल श्रेणी का प्रमाण पत्र जारी किया था, ताकि वे सरकारी योजनाओं और नौकरियों का लाभ उठा सकें. जिलाधिकारी ने बताया कि ऐसे दस मामलों की पुष्टि हुई है, जिनमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी हासिल करने का प्रयास किया गया. मामले की जांच जारी है और संबंधित नौ नियुक्तियों पर भी रोक लगा दी गई है.

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