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Gyanvapi Case: व्यास तहखाने में पूजा को लेकर रोक लगाने से इनकार, SC से मस्जिद पक्ष को मिला झटका

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी व्यास जी तहखान में पूजा मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि राज्य सरकार के आदेश पर 1993 से कब्जा हमारे पास था. पिछले 30 साल से पूजा नहीं हो रही थी. इस पर रोक लगाई जानी चाहिए. हालांकि, कोर्ट ने पूजा पर रोक लगाने से इनकर कर दिया है.

Updated on: 01 Apr 2024, 04:34 PM

नई दिल्ली:

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले को लेकर मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यास तहखाने में पूजा अर्चना जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने व्यास तहखाने में पूजा करने के वाराणसी अदालत के आदेश पर रोक से इनकार कर दिया है. इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष को नोटिस भी दिया है. अदालत ने आदेश जारी करते हुए मस्जिद के गूगल अर्थ इमेज को सामने रखने को कहा है. आज सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील हुजैफा अहमदी का कहना था कि व्यास तहखाने के केस में कब्जा देने के आदेश में सात दिनों का वक्त दिया गया. हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी. यहां पर पूजा जारी है. अहमद के अनुसार, बीते 30 वर्ष से पूजा यहां नहीं हुई थी. ऐसे में यह कोर्ट निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाए. ये जगह मस्जिद परिसर के अंदर आती है, ऐसे में इसको इजाजत देने ठीक नहीं है. 

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क्या है मुस्लिम पक्ष की दलील?

अहमदी के अनुसार, राज्य सरकार के आदेश पर 1993 से ये कब्जा उनके पास था. बीते 30 वर्ष से पूजा नहीं हो रही थी. ऐसे में रोक लगाई जारी चाहिए. इस पर सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट ने यह पाया है कि पहले कब्जा व्यास परिवार के पास था. इसके बाद अहमदी का कहना था कि यह उनका दावा है. ऐसा किसी तरह का साक्ष्य नहीं है. यह एक मस्जिद की जगह है. मैं इतिहास में नहीं ना चाहता हूं. ऐसा आदेश सिविल कोर्ट किस तरह से दे सकता है. 

1993 से 2023 तक कोई  पूजा नहीं होती थी

अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील दी है. अहमदी के अनुसार, 1993 से 2023 तक कोई  पूजा नहीं होती थी. अदालत ने ये आदेश पूजा स्थल कानून को ध्यान में रखते हुए दिया. अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील देते हुए कहा कि मामले में वाराणसी अदालत ने सिविल दावे से आगे जाकर ये आदेश दिया है.