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यूपीः CMO को निर्देश, सरकारी अस्पतालों के नाम हिंदी के साथ उर्दू में भी लिखे जाएं

यूपी के सरकारी अस्पतालों के नाम अब हिंदी भाषा के अलावा उर्दू में भी लिखे जाएंगे. चिकित्सा एवं स्वाथ्य विभाग ने सभी जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों को ऐसे निर्देश जारी किए हैं.

Updated on: 09 Sep 2022, 02:59 PM

नई दिल्ली:

यूपी के सरकारी अस्पतालों के नाम अब हिंदी भाषा के अलावा उर्दू में भी लिखे जाएंगे. चिकित्सा एवं स्वाथ्य विभाग ने सभी जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों को ऐसे निर्देश जारी किए हैं. चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य परिवार कल्‍याण विभाग के सभी अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि वे अपने नाम की तख्तियों पर हिंदी के साथ उर्दू में भी नाम लिखें. दरअसल उन्‍नाव के रहने वाले मोहम्मद हारुन नामक शख्स ने पत्र लिखकर  शिकायत की थी कि दूसरी राजभाषा के रूप में मान्‍यता होने के बावजूद यूपी के कई विभागों में इसका पालन नहीं हो रहा है.

पत्र में चिकित्सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में भी इसका पालन न किए जाने की शिकायत दर्ज की गई थी.  इसके बाद प्रदेश के निदेशक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र डा शैलेष की ओर से शासनादेश का पालन का निर्देश दिया है. 

गौरतलब है कि यूपी के सभी 167 सरकारी जिला अस्‍पतालों,  873 सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों, सीएचसी और 2934 प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों के नाम हिंदी के साथ उर्दू में भी लिखे जाने चाहिए. इसी के साथ विभाग के अधिकारी और कर्मी भी अपने नाम की तख्‍तियों पर हिंदी संग उर्दू में नाम लिखेंगे.  

गौरतलब है कि भाषा विभाग ने 7 अक्‍टूबर 1989 में उर्दू को दूसरी भाषा के रूप में मान्यता दी. इसके लिए  अधिसूचना जारी की गई थी. इसे लेकर 19 नवंबर 1990 को शासनादेश जारी करा गया था.