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गोरखपुर: ऑपरेशन शिकंजा और ऑपरेशन त्रिनेत्र अभियान चला रही पुलिस

गोरखपुर पुलिस ने अपराध पर काबू करने के लिए ऑपरेशन त्रिनेत्र और अपराधियों को काबू करने ने लिए ऑपरेशन शिकंजा अभियान चलाया है. इसका काफी बेहतर परिणाम मिल रहा है.

Updated on: 23 Aug 2022, 03:39 PM

गोरखपुर :

गोरखपुर पुलिस ने अपराध पर काबू करने के लिए ऑपरेशन त्रिनेत्र और अपराधियों को काबू करने ने लिए ऑपरेशन शिकंजा अभियान चलाया है. इसका काफी बेहतर परिणाम मिल रहा है. ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत जहां शहर के 75 चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. वहीं अब गोरखपुर जिले के 500 गांव में भी सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए ग्राम प्रधानों को ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी गई है. वहीं ऑपरेशन शिकंजा के तहत अब तक 50 से अधिक छोटे बड़े अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है. इसमें सबसे बड़ा नाम माफिया राजन तिवारी का है.

ऐसा माना जा रहा है कि इन दोनों अभियानों की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काफी प्रभावित हैं और जल्द ही इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जा सकता है. गोरखपुर के एडीजी जोन अखिल कुमार ने न्यूज नेशन से बात करते हुए कहा कि ऑपरेशन त्रिनेत्र और ऑपरेशन शिकंजा के काफी शानदार परिणाम मिल रहे हैं. गोरखपुर के 500 से अधिक ग्राम प्रधानों ने आश्वासन दिया है कि एक से डेढ़ माह में वह अपने गांव के अपने चौराहों पर सीसीटीवी कैमरा लगवा देंगे और इसके लिए उनको ट्रेनिंग दी गई है. इस अभियान से प्रधानों के जुड़ने से अगले 2 माह में अपराध नियंत्रण में काफी सार्थक परिणाम मिलेगा. इसकी वजह से छोटे-मोटे अपराध भी काफी हद तक रोक लिया जाएंगे. एडीजी ने कहा कि ऑपरेशन शिकंजा में जब तक हम बड़े माफिया और अपराधियों को सजा नहीं दिला पाएंगे तब तक यह आपरेशन सफल नहीं होगा और हम उसी दिशा में काम कर रहे हैं. पुलिस बड़े अपराधी और बड़े माफिया को पकड़ सके, इसके लिए काम किया जा रहा है. छोटे अपराधी को पकड़ने का वैसा कोई इंपैक्ट नहीं होता जो एक बड़े अपराधी को पकड़ने का होता है. 

एडीजी ने कहा कि वह बड़े माफियाओं के मुकदमे को प्रभावी पैरवी के लिए विशेष कार्य योजना के तहत काम कर रहे हैं अगले 1 साल के अंतर्गत ऐसे सभी अपराधियों को धीरे-धीरे सजा दिलाने में सफल होंगे. एडीजी ने कहा कि सजा दिलाने में कई स्टेकहोल्डर होते हैं, पुलिस का काम सिर्फ प्रॉसीक्यूशन का होता है और वह उसमें सकारात्मक भूमिका अदा करते रहे हैं. अपराधियों को पकड़ने का कोई डेडलाइन देना मुश्किल होता है लेकिन इसकी नियमित समीक्षा की जा रही है और जो बड़े माफिया है उनकी वह खुद समीक्षा कर रहे हैं.