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गोरखपुर: बाबा मुक्तेश्वरनाथ धाम पर उमड़ा आस्था का सैलाब, 400 साल पुराना इतिहास

आज श्रावण मास का दूसरा पवित्र सोमवार है. आज सुबह से ही गोरखपुर के शिवालयों में भोले की भक्ति के लिए श्रद्धालु उमड़ रहे हैं. गोरखपुर के प्रसिद्ध शिवालयों की अगर बात करें तो राप्ती नदी के तट पर स्थित मुक्तेश्वरनाथ मंदिर...

Updated on: 25 Jul 2022, 07:08 AM

highlights

  • सावन में शिवालयों पर उमड़ा आस्था का सैलाब
  • गोरखपुर के बाबा मुक्तेश्वर नाथ धाम पर उमड़े भोले के भक्त
  • धाम का 400 साल पुराना है इतिहास

गोरखपुर:

आज श्रावण मास का दूसरा पवित्र सोमवार है. आज सुबह से ही गोरखपुर के शिवालयों में भोले की भक्ति के लिए श्रद्धालु उमड़ रहे हैं. गोरखपुर के प्रसिद्ध शिवालयों की अगर बात करें तो राप्ती नदी के तट पर स्थित मुक्तेश्वरनाथ मंदिर शिव भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इस मंदिर का मुक्तेश्वर नाम इसके बगल में मुक्तिधाम होने के कारण पड़ा. श्रावण मास में यहां शिव भक्तों का सैलाब उमड़ता है. श्रावण मास पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन और पुलिस प्रशासन ने भी तैयारियां कर रखी हैं ताकि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े.

गोरखपुर मंडल के अलावा बिहार से भी पहुंचते हैं भोले के भक्त

करीब 400 वर्ष पुराने इस मंदिर में दर्शन एवं पूजन के लिए गोरखपुर मंडल के अलग अलग जिलों सहित बिहार से भी लोग आते हैं. पूरे सावन भर यहां रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक, महामृत्युंजय जाप, ग्रह शांति पूजा, शतचण्डी महायज्ञ सहित अन्य धार्मिक कार्य होते हैं. सावन के पूरे महीने इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती रहती है. सावन के दूसरे सोमवार आज सुबह से यहां पर हजारों लोग आकर भगवान शिव को जलाभिषेक कर रहे हैं और अपने मन की मनोकामनाओं को भगवान के समक्ष रख रहे हैं. 

बांसी स्टेट के राजा से जुड़ी कहानी

ऐसी मान्यता है कि चार सौ साल पहले यहां घना जंगल हुआ करता था. एक बार बांसी स्टेट के राजा यहां शिकार करने आए और जंगल में शेरों ने उन्हें घेर लिया. जान संकट में फंसी देखकर राजा ने अपने इष्टदेव भगवान शिव को याद किया. भगवान शिव का चमत्कार हुआ और शेर वापस लौट गए. इसी स्थान पर राजा ने भगवान का मंदिर बनवाने का संकल्प लिया. उनके आदेश पर महाराष्ट्र निवासी बाबा काशीनाथ ने यहां मंदिर की स्थापना कराई. बाबा काशीनाथ ने यहां के निवासी यदुनाथ उपाध्याय को मंदिर का कार्यभार सौंपा और तीर्थाटन पर चले गए. तब से उन्हीं के परिवार के लोग मंदिर की देखरेख कर रहे हैं.

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जलाभिषेक से पूरी हो जाती है सारी मनोकामना

इस मंदिर में आने वाले लोगों का कहना है कि वह जब से उन्होंने होश संभाला है तबसे भगवान शिव की आराधना के लिए इसी मुक्तेश्वर नाथ मंदिर में आते हैं और उनकी सारी मनोकामनाओं को भोलेनाथ यहां पर पूर्ण करते हैं. खास तौर पर सावन के सोमवार को यहां पर जल चढ़ाने से शिव काफी प्रसन्न होते हैं और ऐसी मान्यता है कि अगर ग्रहों के कष्ट को खत्म करना है, तो सावन के सोमवार को यहां पर आकर भगवान शिव को सिर्फ जलाभिषेक ही किया जाए तो भी भगवान उनकी सारी मनोकामना को पूर्ण कर उनके कष्टों को खत्म करते हैं.