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गाज़ीपुर प्रशासन की पहल : नदी में न फेंके लाश, प्रशासन देगी अंतिम संस्कार के लिए पैसे

गाज़ीपुर प्रशासन (Ghazipur administration) ने एक बढ़िया पहल की शुरुआत की है. नदियों में जिस प्रकार से शवों (Dead Bodies in River) का मिलना लगातार जारी है उसके मद्देनजर गाज़ीपुर प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि शवों को किसी भी हालत में नदी में न बहाएं.

Updated on: 14 May 2021, 07:39 PM

लखनऊ :

गाज़ीपुर प्रशासन (Ghazipur administration) ने एक बढ़िया पहल की शुरुआत की है. नदियों में जिस प्रकार से शवों (Dead Bodies in River) का मिलना लगातार जारी है उसके मद्देनजर गाज़ीपुर प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि शवों को किसी भी हालत में नदी में न बहाएं. गाज़ीपुर प्रशासन ने लोगों को कहा है कि अगर आप अक्षम में है अंतिम संस्कार के क्रिया में तो प्रशासन को सूचित करें, अंतिम संस्कार के क्रिया के लिए प्रशासन के तरफ से उचित इंतजाम किया जायेगा. इसके लिए गाज़ीपुर प्रशासन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को नदी में नाव से घूम घूम कर लोगों को इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया और लोगों से अपील की कि शवों को नदी में न बहाएं.

इससे अलग गाजीपुर के डीएम एमपी सिंह ने बताया कि प्रशासन ने शवों को जलाने के लिए लकड़ी की कीमत को भी कम कर 650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. इसके अलावे यह भी सुनिश्चित की गयी है कि 'डोम राजा'  शव का अंतिम संस्कार करने के लिए 500 रुपये से अधिक नहीं लेगा. डीएम एमपी सिंह ने कहा कि प्रत्येक श्मशान में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जा रहा है जहां पुलिस कर्मी और लेखपाल तैनात रहेंगे. इसके अलावे यदि कोई व्यक्ति दाह संस्कार (अपने रिश्तेदार / परिवार के सदस्य के शरीर) का खर्च वहन करने में असमर्थ है और किसी श्मशान में जाता है, तो गाजीपुर प्रशासन के तरफ से तुरंत 5000 रुपये प्रदान की जाएगी और दाह संस्कार का सारा खर्च प्रशासन वहन करेगी.

बता दें कि कोरोना संक्रमण का असर पूरे देश में है. दूसरी लहर में मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं. अगर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर की बात करें तो अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे लोगों को डाह संस्कार में होने वाले खर्च को बढ़ा दिया है. वाराणसी की कई घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए ज्यादा पैसे वसूल किये जा रहे हैं. यहां तक की कंधा देने के लिए 3 से 4 हजार रुपये लिये जा रहे है कफ़न का दाम मौत के आगे बढ़ती जा रही है चारो तरफ अव्यवस्था है सरकारी रेट सिर्फ कागजो में सीमित हो गयी है.