राम मंदिर निर्माण के लिए निधि संग्रह अभियान जोरों पर, अगले महीने से नींव खुदाई हो सकता है शुरू
मंदिर निर्माण के लिए अभी तक जमा धनराशि के बारे में ट्रस्ट का कहना है कि मार्च में ऑडिट के बाद ही जमा सहयोग राशि के बारे में जानकारी दी जाएगी. हालांकि सूत्रों के मूताबिक अभी तक मंदिर निर्माण के लिए 600 करोड़ रुपये की सहयोग राशि जमा हो चुकी है.
अयोध्या :
अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के लिए पूरे देश मे निधि समर्पण अभियान जोरों पर है. वही नींव की डिजाइन को लेकर अभी भी मंथन का दौर जारी है. टेस्ट फाइलिंग फेल होने के बाद इंजीनियरों की टीम ने नींव की डिजाइन को लेकर नए कई दूसरी तकनीकों पर भी विचार किया है. उम्मीद है कि अगले महीने से नींव की डिजाइन फाइनल होने के बाद नींव खुदाई का काम भी शुरू हो जाएगा. अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर में लिए निधि समर्पण अभियान पूरे देश मे चलाया जा रहा है.
ट्रस्ट के मूताबिक राम मंदिर निर्माण में लिए लोग उम्मीद से ज़्यादा सहयोग कर रहे हैं. लेह लद्दाख से लेकर कन्याकुमारी और अरुणाचल तक लोगों में मंदिर के प्रति अगाध प्रेम दिख रहा है. मंदिर निर्माण के लिए अभी तक जमा धनराशि के बारे में ट्रस्ट का कहना है कि मार्च में ऑडिट के बाद ही जमा सहयोग राशि के बारे में जानकारी दी जाएगी. हालांकि सूत्रों के मूताबिक अभी तक मंदिर निर्माण के लिए 600 करोड़ रुपये की सहयोग राशि जमा हो चुकी है.
वही मंदिर की नींव के लिए मंथन का दौर भी जारी है. पहले मंदिर की नींव के लिए 1200 खम्बों की पायलिंग की जानी थी लेकिन पायलिंग टेस्ट में फेल होने के बाद विशेषज्ञों को नींव के लिए दूसरी तकनीकों पर विचार करना पड़ा. सूत्रों के मूताबिक प्राचीन तकनीक के अनुसार अब मंदिर की नींव बनाने की योजना है,जिसमे करीब 50 फ़ीट तक खुदाई कर मजबूत पत्थरों से मंदिर की नींव तैयार की जाएगी. हालांकि नींव खुदाई को लेकर ट्रस्ट का कहना है कि नींव बनाने के लिए मलबा हटाने का काम चल रहा है. जानकारी के मूताबिक अगले महीने तक मलबा हटाने का काम पूरा कर लिया जाएगा. जिसके बाद नींव खुदाई शुरू होगी. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि एनजीआरआई हैदराबाद की टीम ने जो शोध किया है उसके लिए नींव की जगह पर सैकड़ों फुट गहरा कई स्थानों पर बोरिंग की गई है जहां पर जमीन के अंदर की मिट्टी के परीक्षण का कार्य हो रहा है. मजबूत नींव के निर्माण के लिए100 पन्नों की रिपोर्ट ट्रस्ट को सौंपी जा चुकी है.
राम मंदिर के निर्माण के बाद उसकी आयु लंबी हो इस लिहाज से विशेषज्ञों की टीम लगातार शोध कर रही है. राम जन्म भूमि के गहराई में सरयू का किराना होने की वजह से भुरभुरी बालू है और बालू पर किस तरीके से ग्रिप बनाई जाए इस तकनीकी पर काम हो रहा है. इसके लिए अलग-अलग विशेषज्ञ लगातार कार्य कर रहे हैं. मंदिर भूकंप रोधी हो सरयू की जलधारा से मंदिर को कोई नुकसान ना हो इन सब विकल्पों पर विशेषज्ञों के द्वारा रिसर्च किया जा रहा है.
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