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UP के बस्ती में पड़ी अनाज बैंक की नींव, गरीबों के पेट भरने में अब कोई बाधा नहीं

इस काम के लिए एक अधिकारी और पांच गाड़ी भी तैनात की गयी है. जिनका एक नम्बर भी जारी किया है.

Updated on: 28 Mar 2020, 03:04 PM

बस्ती:

कोरोना के खौफ से हुए लॉकडाउन से डरे गरीबों को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने बस्ती जिले में अनाज बैंक की नींव डाल दी है. इससे बेसहारा और गरीबों के पेट भरने में अब कोई बाधा नहीं आएगी. यह पहल जिला प्रशासन द्वारा शुरू की गई है. समाजसेवियों और व्यापारियों से अपील कर 11 तरह के समानों को जुटाया जा रहा है.

बस्ती जिले के जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने बताया कि 11 सूखे समान का फूड किट बनाया गया है. इसमें, दाल, चावल, आटा, माचिस, मोमबत्ती, साबुन इत्यादि की एक सूची जनता के लिए जारी की गई है. इसके लिए जिलाधिकारी कार्यालय में एक बैंक बनाया गया है, जिसमें यह जमा हो रहा है. एकत्रित होने के बाद यह झोपड़-पट्टी और दिहाड़ी मजदूरी करने वालों के बीच वितरित किया जाएगा. जिनकों यह समान पहुंचाने में घरों से दिक्कत हो रही है, उनके लिए अलग व्यवस्था भी की गयी है. इस काम के लिए एक अधिकारी और पांच गाड़ी भी तैनात की गयी है. जिनका एक नम्बर भी जारी किया है.

जिलाधिकारी ने बताया कि अनाज एकत्रित होने के बाद कई जगह चिह्नित की गई है. जहां गरीब, मजदूर और झोपड़ पट्टी वाले लोग रहते हैं. वहां जाकर हम लोगों के घर के बाहर समान रख देंगे, क्योंकि वितरण करने से भीड़ इकट्ठी होगी. इससे संक्रमण हो सकता है. इसीलिए इसे लोगों के घरों के बाहर रखकर घोषणा कर दिया जाएगा. इसका बैंक जैसा सिस्टम बनाया गया है. जैसे बैंक जनता से पैसा लेती है और उसे पब्लिक को देती है वही प्रक्रिया हमने भी अपनाया है.

उन्होंने कहा कि जनता से अपील की है हमें यह किट बनाकर दें. इसकी कीमत करीब 800 रूपये है. लेकिन हमें कैश नहीं चाहिए. दानदाता हमें यह किट बनाकर दें. आशुतोष ने बताया कि अभी तक 100 किट हम जनता तक बंटवा चुके हैं. डीएम ने इसके लिए दानदाताओं और स्वयंसेवी संस्थाओं से सहायता की अपील भी की है.

डीएम ने बताया कि किट में 5 किलो आटा, 5 किलो चावल, 2 किलो दाल, 2 किलो चीनी, 1 किलो नमक, 1 लीटर सरसों का तेल, 2 किलो आलू, एक पैकेट मोमबत्ती, एक पैकेट माचिस, 2-2 नहाने एवं कपड़ा धोने का साबुन, जो दानदाता अनाज देने के इच्छुक है वह कलेक्ट्रेट में संपर्क कर सकते हैं. इसके लिए स्वयंसेवी समूह और संगठन भी मदद कर सकते हैं.