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Former CM Kalyan Singh: मौत से पहले भी उसने कहा - न अफसोस, न गम, जय श्रीराम

रामभक्ति का सजीव उदाहरण, इस कदर निर्जीव हो जाएगा! शायद किसी ने ऐसा सोचा नहीं था. रामभक्ति के वशीभूत होकर, जिसने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, वो थे यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह.

Updated on: 21 Aug 2021, 10:27 PM

highlights

  • यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन
  • देश में फैली शोक की लहर
  • कई बड़े नेताओं ने जाना था हाल-चाल

लखनऊ:

रामभक्ति का सजीव उदाहरण, इस कदर निर्जीव हो जाएगा! शायद किसी ने ऐसा सोचा नहीं था. रामभक्ति के वशीभूत होकर, जिसने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. जिसने राम के प्रति अपनी श्रद्धा के चलते, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया, वो थे यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह.कल्याण सिंह 1991 में यूपी में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री थे. मुख्यमंत्री भी ऐसे, जिन्होंने पहली बार परीक्षा में नकल को रोकने के लिए नकल अध्यादेश तक जारी किया. बोर्ड परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाने वालों को जेल भेजने के इस कानून ने कल्याण सिंह को बोल्ड एडमिनिस्ट्रेटर बना दिया. यूपी में किताब रख के चीटिंग करने वालों के लिए ये कानून काल बन गया. वहीं बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में, 425 में से 221 सीटें लेकर आने वाली कल्याण सिंह सरकार ने अपनी कुर्बानी दे दी. कल्याण सिंह ने अयोध्या में हुए दंगों की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए अपना पद छोड़ दिया.  इतना ही नहीं, उन्होंने इसके लिए सजा भी काटी और वो हिंदू हृदय सम्राट बन गए. वो दिन और आज का दिन, कल्याण सिंह आज तक बीजेपी पार्टी व पूरे देश में अपनी रामभक्ति के लिए जाने जाते हैं.

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कई बड़े नेताओं ने मिलकर जाना था हाल-चाल

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. उन्हें 4 जुलाई, 2021 को SGPGI, लखनऊ में भर्ती कराया गया था. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कल्याण सिंह से मिलकर उनके स्वास्थ्य का जायजा लिया था. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री से मिलने के लिए सीएम योगी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी SGPGI गए थे. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी हालचाल जानने के लिए फोन किया था. उन्होंने कल्याण सिंह को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी फोन किया था.

कैसी रही Former CM Kalyan Singh की जीवन यात्रा?

कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी, 1932 को तेजपाल सिंह लोधी और सीता देवी के घर हुआ था. इनका जन्म आजादी से पहले उस समय के अलीगढ़ के मधोलि नामक छोटे से गाँव मे हुआ था जो अब आजादी के बाद उत्तर प्रदेश मे पड़ता है. इनकी पत्नी का नाम रामवति देवी है. कल्याण सिंह के एक बेटा और एक बेटी है। बेटे का नाम राजवीर सिंह और बेटी का नाम प्रभा वर्मा है.

राजनीति में आने से पहले रहे शिक्षक

राजनीति में आने से पहले वे RSS के वॉलेन्टीयर थे. वे अपनी उच्च शिक्षा समाप्त करने के बाद सबसे पहले शिक्षक बने थे. जब वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तब उन्होंने बोर्ड परीक्षाओं में नकल करने वालों के लिए सख्त कानून बनाए. उनकी सरकार ने 1992 में एंटी-कॉपींग एक्ट लागू किया था.

Former CM Kalyan Singh का राजनीतिक सफर

कल्याण सिंह पहली बार जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. उसके एक साल बाद, राइट विंग्स पोलिटिकल पार्टी के सहयोग से हिन्दू राइट विंग्स अकटीविस्ट ने मिलकर विवादास्पद बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया. जिसके बाद इन्हें इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा. उसके बाद वे उत्तर प्रदेश के अत्रौली और कासगंज के इलेक्शन में विधायक पद के लिए चुने गए. सितंबर 1997 से नवम्बर 1999 तक, वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री  रहे. 21 अक्टूबर, 1997 में बहुजन समाज पार्टी ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया. तब कल्याण सिंह ने कांग्रेस के विधायक नरेश अग्रवाल से हाथ मिलाकर उनके 21 विधायकों के समर्थन से अपनी नई पार्टी बनाकर अपनी सरकार बचा ली और इसके लिए उन्हें नरेश अग्रवाल को ऊर्जा मंत्री बनाना पड़ा.

दिसंबर 1999 मे कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और उसके बाद साल 2004 में एक बार फिर से भाजपा के साथ राजनीति से जुड़ गए. 2004 में उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार के रूप मे उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से विधायक के लिए चुनाव लड़ा. 2009 मे उन्होंने भाजपा को भी छोड़ दिया और खुद एटा लोकसभा चुनाव के लिए निर्दलीय खड़े हुए और जीते भी.

राजस्थान व हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का भी संभाला पदभार

उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में दो बार और जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रहते कई बार अतरौली के विधायक चुने गए. उन्हें 26 अगस्त, 2014 को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया और साथ ही उन्होंने 2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला.